
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का दावा था कि इस बार जो बजट पेश होगा, वैसा पिछले सौ साल में भी नहीं आया होगा। हालांकि एक घंटा 50 मिनट के उनके तीसरे बजट भाषण को सुनने के बाद ऐसा नजर आया नहीं। संसद में पहली बार पेपरलेस बजट पेश हुआ। केंद्रीय बजट में कोरोना के वार से उबर रही अर्थव्यवस्था के बीच अर्थव्यवस्था को पुश करने पर जोर रखा है। इस बार हेल्थ और इंफ्र ा सेक्टर पर खासा जोर दिया गया है। हेल्थ सेक्टर के बजट को 94 हजार करोड़ से बढ़ाकर 2.38 लाख करोड़ कर दिया गया है। कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण के लिए 35 हजार करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया है। वहीं रोड और हाइवेज़ को लेकर भी कई बड़ी घोषणाएं की गई हैं। इनकम टैक्स क्षेत्र में बस एक बड़ी घोषणा हुई है, वो यह कि अब 75 साल से ऊपर के ऐसे लोग, जिनकी आय बस पेंशन या ब्याज से होती है, उन्हें अब टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करना होगा। अच्छी खबर यह रही कि बजट भाषण के दौरान सेंसेक्स 3 फीसदी और ट्रेडिंग खत्म होने पर 5 फीसदी ऊपर यानी 2314.84 पॉइंट चढ़कर बंद हुआ। पिछले 24 साल में बजट भाषण के दिन सेंसेक्स पहली बार इतना ऊपर चढ़ा है।
महंगे होंगे: गाडिय़ां, मोबाइल फोन, एलईडी लाइट्स
कुछ ऑटो पाट्र्स पर 7.5 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर 15 फीसदी कर दी है। इससे गाडिय़ां महंगी होंगी। सोलर इनवर्टर महंगा होगा। इस पर इंपोर्ट ड्यूटी 5 फीसदी से बढ़ाकर 15फीसदी की गई है। मोबाइल फोन और चार्जर के कुछ पाट्र्स, जो अभी तक इंपोर्ट ड्यूटी के दायरे से बाहर थे। उन पर अब 2.5 फीसदी ड्यूटी लगेगी। वित्त मंत्री ने कहा है कि कस्टम ड्यूटी में 400 पुरानी छूट का रिव्यू किया जाएगा। यह सलाह-मशविरे के जरिए होगा। इस साल 1 अक्टूबर से रिवाइज्ड कस्टम ड्यूटी स्ट्रक्चर शुरू होगा।
सस्ते होंगे: सोना-चांदी, प्लेटीनियम, लेदर प्रोडक्ट
सरकार ने बजट में सोना-चांदी सोना-चांदी से कस्टम ड्यूटी को घटाया है। इसका मतलब है कि अब सोना-चांदी सस्ता होगा। वित्त मंत्री ने सोने और चांदी पर आयात शुल्क में 5 फीसदी की कटौती की है। फिलहाल सोने पर 12.5 फीसदी आयात शुल्क चुकाना पड़ता है। इस तरह से अब सोने पर सिर्फ 7.5 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी चुकानी होगी। इतना ही नहीं, चुनिंदा लेदर को कस्टम ड्यूटी से हटा दिया गया है। इससे लेदर के प्रोडक्ट सस्ते होंगें। प्लेटीनियम, पेंट, नायलॉन का सामान भी सस्ते होंगे।
पेट्रोल-डीजल पर एग्री सेस, लेकिन असर नहीं होने का दावा
वित्त मंत्री ने पेट्रोल पर 2.5 रुपए और डीजल पर 4 रुपए प्रति लीटर एग्री इन्फ्रा डेवलपमेंट सेस का प्रस्ताव रखा। यह 2 फरवरी से ही लागू हो जाएगा। वित्त मंत्री ने भरोसा दिलाया है कि इसका आम आदमी पर बोझ नहीं आने दिया जाएगा। इसके लिए बेसिक एक्साइज ड्यूटी और स्पेशल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी घटा दी गई है। शराब पर लगने वाली कस्टम ड्यूटी पर 100 फीसदी, मसूर की दाल पर 20, सेब पर 35, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल पर 20 फीसदी सेस का प्रस्ताव है। लेकिन आम आदमी पर इसका भी असर नहीं होगा।
कोरोना वैक्सीन के लिए 35000 करोड़ का ऐलान
वित्त मंत्री के भाषण में 16 बार कोविड और महामारी का जिक्र आया। कोरोना की वजह से ही इस बार हेल्थ बजट में 137 फीसदी का इजाफा हुआ। हेल्थ बजट अब 2.23 लाख करोड़ रुपए का होगा जिसके लिए पिछली बार 94 हजार करोड़ रुपए रखे गए थे। कोरोना वैक्सीन के लिए 35 हजार करोड़ रुपए दिए जाएंगे। बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए देशभर में वैक्सीन लगाई जाएगी। निमोनिया से हर साल 50 हजार बच्चों की मौत होती है। 602 जिलों में क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल ब्लॉक्स शुरू होंगे। 15 हेल्थ इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर्स और 2 मोबाइल हॉस्पिटल शुरू होंगे।
सस्ते मकान के लोन पर एक साल की छूट
एक राहत यह है कि किफायती घर खरीदने वालों को लोन के इंटरेस्ट पेमेंट पर टैक्स डिडक्शन में 1.5 लाख रुपए की एक्स्ट्रा छूट का समय एक साल और बढ़ा दिया गया है। यानी 31 मार्च 2022 तक लिए गए लोन इस छूट के दायरे में आएंगे।
टैक्स पेयर्स को कोई राहत नहीं
2014 में 3.31 करोड़ लोग इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते थे। 2020 में यह संख्या बढ़कर 6.48 करोड़ हो गई लेकिन इन लोगों के लिए इस बार बजट में कुछ नया नहीं है। इनकम टैक्स स्लैब वैसा का वैसा ही है।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता नहीं
बड़ी रियायत सिर्फ बुजुर्गों के लिए है। 75 साल से ज्यादा उम्र वाले पेंशनर्स को टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करना पड़ेगा। ये ऐसे पेंशनर्स हैं, जिनकी आमदनी सिर्फ पेंशन और बैंक में मिलने वाले ब्याज से होती है। ध्यान रहे रियायत टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करने की ही है। इनका टैक्स तो बैंक ही काट लेगा।
ज्यादा वेतन वालों को नुकसान
अगर किसी इम्प्लॉई के प्रोविडेंट फंड में सालाना 2.5 लाख रुपए से ज्यादा जमा होते हैं तो उस पर मिलने वाला ब्याज टैक्सेबल इनकम में शामिल होगा। यह नियम 1 अप्रैल 2021 से होने वाले पीएफ कॉन्ट्रिब्यूशन पर लागू होगा। वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि अगर कोई कंपनी अपने कर्मचारियों का कॉन्ट्रिब्यूशन जमा करवाने में देरी करेगी तो वह इस रकम पर टैक्स डिडक्शन नहीं ले सकेगी।
छोटे करदाताओं के विवाद निपटारे के लिए समिति
अब तक टैक्स असेसमेंट के केस आम मामलों में 6 साल और गंभीर मामलों में 10 साल बाद भी खोले जा सकते थे। अब आम मामलों में 3 साल बाद असेसमेंट केस दोबारा नहीं खोले जा सकेंगे। गंभीर मामलों में भी असेसमेंट केस तभी खोले जा सकेंगे, जब एक साल में 50 लाख या इससे ज्यादा इनकम छुपाने के सबूत हों। ऐसे मामलों में भी केस खोलने की मंजूरी इनकम टैक्स के प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर से लेनी होगी।
विवाद से विश्वास स्कीम के तहत अब तक 1.10 लाख से ज्यादा टैक्सपेयर्स ने 85 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के मामले सुलझाए हैं। इसी के मद्देनजर डिस्प्यूट रिजॉल्यूशन कमेटी बनाई जाएगी। 50 लाख तक की टैक्सेबल इनकम वाले वे लोग जिनकी 10 लाख की आय विवादित है, वे विवाद सुलझाने के लिए इस कमेटी के पास जा सकेंगे।
नेशनल फेसलेस इनकम टैक्स अपीलिएट ट्रिब्यूनल सेंटर भी बनेगा ताकि ट्रिब्यूनल और अपील करने वालों के बीच सारी बातचीत इलेक्ट्रॉनिक रहे।
कारोबारियों के खातों के ऑडिट के लिए सरकार ने पिछले साल टर्नओवर की लिमिट 1 करोड़ से बढ़ाकर 5 करोड़ की थी। इसके लिए शर्त रखी कि 95 फीसदी ट्रांजेक्शन डिजिटल होने चाहिए। डिजिटल लेन-देन को और बढ़ावा देने के लिए सरकार ने अब 5 करोड़ की लिमिट बढ़ाकर 10 करोड़ कर दी है।
पहली बार देश में डिजिटल जनगणना
देश में पहली बार डिजिटल तरीके से जनगणना होगी। सरकार ने आगामी जनगणना के लिए 3.726 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं और पहली बार देश में डिजिटल जनगणना होगी। वित्त मंत्री ने 2021.22 के लिए आम बजट प्रस्तुत करते हुए कहा कि सरकार एक राष्ट्रीय भाषा अनुवाद पहल पर भी काम कर रही है।
व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी
वॉलंटरी व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी लाई जाएगी ताकि पुरानी गाडिय़ों को हटाया जा सके। पुरानी कारों को स्क्रैप कर प्रदूषण पर लगाम लगाई जाएगी। इससे तेल आयात बिल भी घटेगा। इससे प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी। गाडिय़ों का फिटनेस टेस्ट होगा। पर्सनल व्हीकल 20 साल बाद और कॉमर्शियल व्हीकल 15 साल बाद स्क्रैप किए जा सकेंगे।
किसानों की उम्मीदों को झटका
किसान आंदोलन को ध्यान में रखते हुए ऐसी उम्मीद थी कि इस बजट में खेती-किसानी पर विशेष ध्यान दिया जा सकता है और पीएम किसान सम्मान निधि स्कीम में मिलने वाले पैसे को बढ़ाया जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पीएम किसान योजना के तहत अभी हर साल 6 हजार रुपए मिलते हैं और ऐसी उम्मीदे थीं कि इसमें 3 हजार रुपए का इजाफा हो सकता है। ऐसा नहीं हुआ। अब तक इस योजना का लाभ 11 करोड़ 52 लाख किसान उठा रहे हैं। कई विशेषज्ञ यह मान रहे थे कि मोदी सरकार किसान आंदोलन को देखते हुए यह फैसला ले सकती है।
कृषि सेक्टर के लिए बढ़ाया बजट
वित्त मंत्री ने बताया कि साल 2021.22 में एग्रीकल्चर क्रेडिट टारगेट यानी कृषि कर्ज का लक्ष्य 16.5 लाख करोड़ का है। वित्त मंत्री के भाषण में 15 बार किसानों और 15 बार एग्रीकल्चर का जिक्र आया। जब उन्होंने किसानों की आय दोगुनी करने के सरकार के वादे और साल दर साल मिनिमम सपोर्ट प्राइज के तहत किसानों को बढ़ते पेमेंट का जिक्र किया तो विपक्ष ने हंगामा भी किया। वित्त मंत्री ने कहा कि किसानों के ई-ट्रेडिंग पोर्टल से 1.68 करोड़ किसान जुड़े हैं और 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की ट्रेडिंग करते हैं। अब एक हजार से ज्यादा मंडियों को पोर्टल से जोड़ा जाएगा। बजट में इस बार एग्रीकल्चर क्रेडिट टारगेट 16.5 लाख करोड़ रखा गया है। रूरल इन्फ्रास्टक्चर डेवलपमेंट फंड को 30 हजार करोड़ से बढ़ाकर 40 हजार करोड़ रुपए कर दिया गया है। ऑपरेशन ग्रीन स्कीम के तहत टमाटरए प्याज और आलू को सहेजने, उसकी प्रोसेसिंग करने और एक्सपोर्ट में मदद की जाती है। इसके तहत जल्द खराब होने वाली 22 और फसलों को शामिल किया जाएगा।
सात टेक्सटाईल पार्क स्थापित किए जाएंगे
तीन वर्षों की अवधि में 7 टेक्सटाईल पार्क स्थापित किए जाएंगे। एग्रीकल्चर इन्फ्रास्टक्चर फंड तक एपीएमसी की भी पहुंच होगी। कोच्चि, चेन्नई, विशाखापट्टनम, पारादीप और पेटुआघाट जैसे शहरों में पांच बड़े फिशिंग हार्बर बनाए जाएंगे। वहीं, तमिलनाडु में मल्टीपर्पज सी.विंड पार्क बनेगा।
बीमा क्षेत्र में विदेशी पूंजी की सीमा 49 से बढ़कर 74 फीसदी
बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने और रक्षा उपाय के साथ विदेशी भागीदारी तथा नियंत्रण की अनुमति के लिए बीमा अधिनियम.1938 में संशोधन का प्रस्ताव किया। आम बजट 2021.22 पेश करते हुए सीतारमण ने कहा कि नए ढांचे के तहत ज्यादातर निदेशक और बोर्ड और प्रबंधन स्तर के अधिकारी निवासी भारतीय होंगे। कम से कम 50 प्रतिशत निदेशक स्वतंत्र निदेशक होंगे। इसके अलावा मुनाफे का एक निश्चित प्रतिशत सामान्य आरक्षित निधि के रूप में रखा जाएगा। बीमा सेक्टर में एफडीआई सीमा की बढ़ाकर सरकार ने विदेशी कंपनियों को भारत की ओर आकर्षित करने की एक बड़ी कोशिश की है।
जारी रहेगा डिसइन्वेस्टमेंट
इस साल दो पब्लिक सेक्टर बैंक और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी में डिसइन्वेस्टमेंट होगा। सरकारी बैंकों में 20 हजार करोड़ का निवेश किया जाएगा।
रेलवे के लिए 1.10 लाख करोड़ का बजट
रेलवे के लिए इस बार 1.10 लाख करोड़ का बजट रखा गया है। इसमें से 1.7 लाख करोड़ रुपए सिर्फ कैपिटल एक्सपेंडिचर पर खर्च होंगे। 2021-22 में बिहार के सोननगर से झारखंड के गोमो के बीच 263.7 किमी लंबे ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर को पीपीपी मॉडल से बनाया जाएगा। इसके बाद गोमो से बंगाल के डानकुनी के बीच 274 किमी लंबे सेक्शन पर भी काम होगा। यूपी के खडग़पुर से आंध्र के विजयवाड़ा तक महाराष्ट्र के भुसावल से खडग़पुर और डानकुनी तक और इटारसी से विजयवाड़ा तक फ्यूचर डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बनाए जाएंगे। दिसंबर 2023 तक ब्रॉड गेज रूट का 100 फीसदी इलेक्ट्रिफिकेशन होगा। यात्रियों के आरामदेह सफर के लिए जल्द ही विस्टा डोम कोच शुरू होंगे।
बस ट्रांसपोर्ट और मैट्रो सिस्टम को मजबूत करेंगे
शहरी इलाकों में बस ट्रांसपोर्ट सिस्टम को मजबूत करने के लिए 18 हजार करोड़ रुपए की नई स्कीम आएगी। इसके तहत पीपीपी मॉडल के जरिए 20 हजार से ज्यादा बसें खरीदने और चलाने में प्राइवेट सेक्टर की मदद की जाएगी।
देश के अलग-अलग शहरों में अभी 702 किमी लंबी मेट्रो चल रही हैं। 27 शहरों में कुल 1016 किमी मेट्रो पर काम चल रहा है। कम लागत से टियर-2 शहरों में मेट्रो लाइट्स और मेट्रो नियो शुरू होंगी। कोच्चि मेट्रो में 1900 करोड़ की लागत से 11 किमी हिस्सा बनाया जाएगा। चेन्नई में 63 हजार करोड़ रुपए की लागत से 180 किमी लंबा मेट्रो रूट बनेगा। बेंगलुरु में भी 14788 करोड़ रुपए से 58 किमी लंबी मेट्रो लाइन बनेगी। नागपुर 5976 करोड़ और नासिक में 2092 करोड़ से मेट्रो बनेगी।
रोजगार को लेकर कोई ठोस रणनीति नहीं
मोदी सरकार ने अपने बजट में इन्फ्रास्ट्रक्टर और हाईवे निर्माण को लेकर बड़े ऐलान किए हैं। बंगाल से लेकर असम तक में राजमार्गों का निर्माण होगा। इस काम से भले ही काफी लोगों को रोजगार मिलेगा, मगर बजट में रोजगार सृजन को लेकर न तो कोई स्पष्ट और प्रत्यक्ष तौर पर बात की गई है और न ही इसे लेकर कोई ठोस रोडमैप दिखाया गया है। देश में इस साल कितने रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे, इसे लेकर भी कोई स्पष्टता नहीं दिखी।
30 साल में सबसे ज्यादा घाटे में सरकार
सरकार का राजकोषीय घाटा 1991 से शुरू हुए उदारीकरण के बाद सबसे ज्यादा है। राजकोषीय घाटा यानी जब सरकार की आमदनी से ज्यादा उसका खर्च हो जाए। 1991 में यह जीडीपी का 5.6 फीसदी था। 2020.21 में यह 9.5 प्रतिशत है।
वित्त मंत्री ने कहा कि हमने लॉकडाउन खत्म होने के बाद सरकारी खर्च बढ़ाया है। 2020-21 में 30.42 लाख करोड़ रुपए के सरकारी खर्च का अनुमान था जो बढ़कर 34.5 लाख करोड़ रुपए हो गया। इसकी भरपाई के लिए हमें 80 हजार करोड़ रुपए और चाहिए। इसके लिए हम अगले दो महीने में बाजार से मदद लेंगे।
2021.22 में 34.83 लाख करोड़ रुपए के सरकारी खर्च और 6.8 फीसदी के राजकोषीय घाटे का अनुमान है। सरकार 2025-26 तक इसे घटाकर 4.5 फीसदी करना चाहती है। कंटीजेंसी फंड को 500 करोड़ से बढ़ाकर 30 हजार करोड़ रुपए करने का प्रावधान है।
बजट पर प्रतिक्रियाएं
ऐसे बजट कम ही देखने को मिलते हैं, जिसमें शुरू के एक-दो घंटों में ही इतने सकारात्मक रिस्पॉन्स आए। कई लोग सोच रहे थे कि हम आम आदमी पर टैक्स का बोझ डालेंगे लेकिन हमने ट्रांसपेरेंट बजट पर फोकस किया। नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
सरकार गरीबों के हाथों में पैसे देना भूल गई। इसकी बजाय वह चाहती है कि देश की संपत्ति उसके पूंजीपति दोस्तों के हाथों में दे दी जाए। राहुल गांधी, कांग्रेस नेता
इन्फ्रास्ट्रक्चर पर बड़ा खर्च और हेल्थकेयर सेक्टर पर जोर देना इस बजट की दो अहम बातें रहीं। निर्मला सीतारमण, वित्त मंत्री
यह सरकार उस गैराज मैकेनिक की याद दिलाती हैए जो अपने कस्टमर से कहता है कि चूंकि मैं आपके ब्रेक ठीक नहीं कर सकताए इसलिए हॉर्न की आवाज तेज कर देता हूं। शशि थरूर, कांग्रेस सांसद
निर्मला सीतारमण ने देश के लोगों को धोखा दिया है और इससे पहले कभी भी बजट से इतनी निराशा नहीं हुई। पी. चिदंबरम, कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री