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प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण बिल पर मुहर: आसान नहीं इस कानून को लागू करना

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सरकारी के बाद अब निजी क्षेत्रों में भी नौकरियों में आरक्षण Reservation in private jobs दिया जा रहा है। हरियाणा सरकार ने इसकी शुरुआत कर दी है। अब राज्य में प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में स्थानीय उम्मीदवारों को 75 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने निजी क्षेत्रों की नौकरियों में आरक्षण देने वाले बिल पर मुहर लगा दी है।

हरियाणा स्टेट एम्प्लॉयमेंट टू लोकल केंडिडेट्स एक्ट-2020 कानून की खास बातें

• कानून राज्य में चल रही उन कंपनियों, सोसाइटी, ट्रस्ट, फर्म पर लागू होगा जिनमें 10 से ज्यादा कर्मचारी हैं।

• 50 हजार रुपए मासिक वेतन तक की नौकरियों पर ही यह कानून लागू होगा।

• अगर किसी काम के लिए स्किल्ड और क्वालिफाइड लोग नहीं हैं, तो योग्य स्थानीय उम्मीदवारों को ही ट्रेनिंग दी जाएगी।

• फिर भी किसी पद के लिए दक्ष कर्मचारी न मिलने पर कानून में छूट दी जा सकती है। इस बारे में निर्णय जिला उपायुक्त या उससे उच्च स्तर के अधिकारी लेंगे।
• हर कंपनी को हर तीन महीने में इस कानून को लागू करने की स्टेटस रिपोर्ट सरकार को देनी होगी।

• सभी कंपनियों को तीन महीने में सरकार के पोर्टल पर बताना होगा कि उनके यहां 50 हजार तक की तनख्वाह वाले कितने पद हैं और इन पर कितने स्थानीय लोग काम कर रहे हैं।

• यह डाटा अपलोड करने तक कंपनियां नए लोगों को नौकरी पर नहीं रख सकतीं।

• एसडीएम या इससे उच्च स्तर के अधिकारी कानून लागू होने की जांच के लिए डाटा ले सकेंगे और कंपनी परिसर में भी जा सकेंगे

• कानून अगले 10 साल तक लागू रहेगा

• जिन उम्मीदवारों के पास हरियाणा की डोमिसाइल होगी, उन्हें स्थानीय कहा जाएगा और आरक्षण का लाभ मिलेगा। डोमिसाइल होने के लिए जरूरी है कि उम्मीदवार का जन्म हरियाणा में हुआ हो या फिर आप कम से कम 15 साल से वहां रह रहे हों।

यह बोले मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बताया कि विधानसभा के मानसून सत्र में पारित विधेयक हरियाणा स्टेट एंप्लॉयमेंट ऑफ लोकल कैंडिडेट्स बिल-2020 (Haryana State Employement of Local Candidates Bill 2020) को राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य (Haryana Governor Satyadeo Narain Arya) ने मंजूरी दे दी है। नौकरियों से जुड़े नियम भी सरकार बिना देरी के तैयार करेगी। निजी क्षेत्र की नौकरियों में हरियाणा के युवाओं को अब 75 फीसदी आरक्षण मिल सकेगा। सरकार जल्द ही इस आरक्षण के संबंध में नोटिफिकेशन जारी करेगी।

मुख्यमंत्री Manohar Lal Khattar ने बताया कि राज्यपाल ने विधेयक को स्वीकृति के बाद वापस सरकार को भेज दिया है। अधिसूचना जारी होने के बाद हरियाणा में जो भी नए उद्योग लगेंगे या पहले से स्थापित कंपनियां नई भर्तियां करेंगी, उनमें प्रदेश के युवाओं की 75 प्रतिशत नियुक्तियां अनिवार्य होंगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी कर्मचारी को अकारण हटाया नहीं जा सकेगा। 50 हजार रुपए से नीचे की तनख्वाह के सभी कर्मचारियों की जानकारी सरकारी वेबसाइट पर डालनी होगी। किसी फर्म अथवा रोजगार प्रदाता के अपने कर्मचारियों का पंजीकरण न करवाने, आधी-अधूरी अथवा झूठी जानकारी, फर्जी प्रमाण पत्र देने और नियमों का पालन न करने पर अलग-अलग धाराओं के तहत जुर्माने का प्रावधान किया गया है। प्रत्येक तिमाही के बाद रोजगार प्रदाता को संबंधित पोर्टल पर अपनी रिपोर्ट भी अपडेट करनी पड़ेगी। इस कानून से स्थानीय लोगों की बेरोजगारी तो दूर होगी ही। साथ ही कम आय वाले प्रवासी कामगारों का आना भी कम होगा। इनके कारण राज्य के स्थानीय इंफ्रास्टक्चर पर नकारात्मक असर पड़ रहा है और झुग्गी-झोपडिय़ां बढ़ रही हैं।

दुष्यंत बोले-जजपा का सबसे बड़ा चुनावी वादा पूरा

सत्ता की गठबंधन सहयोगी जननायक जनता पार्टी ने राज्य के युवाओं से चुनाव के दौरान यह वादा किया था। हरियाणा विधानसभा में पिछले साल यह बिल पास हुआ था। उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि विधेयक को मंजूरी देने के लिए वह राज्यपाल के आभारी हैं। जजपा (जननायक जनता पार्टी) का बड़ा चुनावी वादा पूरा हो गया। अब निजी क्षेत्र में राज्य के लाखों युवाओं के लिए रोजगार का द्वार खुल गया है। इस दिशा में अब आगे बढ़ा जाएगा।

तकनीकी आधार पर खारिज हो चुकी याचिका

निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण देने के सरकार के फैसले को हरियाणा इंडस्ट्रियल वेलफेयर एसोसिएशन ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। सुनवाई के दौरान सरकार ने 10 दिसंबर 2020 को कहा था कि 75 प्रतिशत आरक्षण की अधिसूचना अभी जारी नहीं की गई है। राज्यपाल की मंजूरी भी नहीं मिली है। सरकार की इस दलील को आधार बनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि अभी यह याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है।

आसान नहीं इस कानून को लागू करना

जानकारों का कहना है उद्योगों को डर है कि नया कानून हरियाणा को गैर-प्रतिस्पर्धी और व्यापार के लिए अनाकर्षक बना देगा। इससे स्थानीयों को नौकरी मिलने की बजाय, छिनने लगेंगी।

नया आरक्षण कानून प्रवासी कामगारों के लिए खतरनाक होगा। याद करो, जो शिवसेना ने मुंबई म़े महाराष्ट्रियनों को नौकरी के समर्थन में 1970 के दशक उसने माटुंगा और दादर में तमिलों को पीटा था। फिर 1980 के दशक में उसने सिख टैक्सी ड्राइवरों पर और नब्बे के दशक में बिहारियों और यूपी के भईयों पर हमले शुरू कर दिए।

अलगाववाद का खतरा

अन्य राज्य भी इसी राह चलेंगे तो देश में अलगाववाद का खतरा बढेेगा। इसकी शुरूआत भी हो चुकी है। आंध्र प्रदेश ने भी ऐसा कानून लाने की कोशिश की है। हरियाणा और आंध्र के बाद झारखंड ने भी घोषणा की है कि वह ऐसा ही कानून लाएगा।

न्यायालय से उम्मीद

इसके पर्याप्त कानूनी साक्ष्य हैं कि यह कानून समानता के अनुच्छेद 14 और नागरिकों को देश में कहीं भी कार्य करने का अधिकार देने वाले अनुच्छेद 19 का उल्लंघन करता है। इसलिए संभावना है कि अदालतें कानून को असंवैधानिक घोषित कर दें।

सरकारी रुख अनुकूल नहीं

यह कानून खासतौर पर प्रधानमंत्री मोदी और उनके एक भारत के स्वप्न को शर्मसार करता है, जिसके आधार पर उन्होंने जीएसटी को उचित ठहराया था।

जब गुडग़ांव के आईटी उद्योग के वरिष्ठों को नया कानून पता चलाए वे नोएडा या अन्य जगहों में विस्तार पर विचार करने लगे। तो हरियाणा सरकार ने तुरंत प्रतिक्रिया दी कि नए कानून से आईटी इंडस्ट्री प्रभावित नहीं होगी।

 

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