
ज्योग्रॉफी यानी भूगोल एक विषय के तौर पर जितना व्यापक है, उसमें रोजगार की संभावनाएं भी उतनी ही अधिक हैं। नए दौर में इसका सही तरीके से अध्ययन कर आप जोश और रोमांच से भरा ऐसा करियर बना सकते हैं जिसमें नाम और दाम दोनों हैं।
ज्योग्रॉफी के अंतर्गत धरती एवं उसके आसपास पाए जाने वाले तत्वों का अध्ययन किया जाता है। प्रकृति से संबंधित विषय होने के कारण यह रोमांचक है। इसमें आपको अलग-अलग देशों, वहां की जलवायु, उसका लोगों की जीवन शैली पर पडऩे वाले असर, जंगल, पहाड़ों, नदियों, उनके नक्शों आदि के बारे में अध्ययन करने का मौका मिलता है। ज्योग्रॉफी या भूगोल को पृथ्वी का विज्ञान कहा जाता है। सही मायने में देखा जाए तो ज्योग्राफर की भूमिका एक साइंटिस्ट की भांति ही होती है। वे पृथ्वी की संरचना तथा उसके अंदर होने वाली हलचल, नदी-घाटी परियोजना आदि पर कार्य करते हैं।
ज्योग्रॉफी की कई शाखाएं हैं। फिजिकल ज्योग्राफी में जहां पृथ्वी, नदी, जलवायु आदि का अध्ययन किया जाता है। वहीं ह्यूमन ज्योग्राफी में मानव की राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक गतिविधियों का अध्ययन किया जाता है। इसी तरह एंवॉयर्नमेंटल ज्योग्राफी में पर्यावरण और उसका मानव जीवन पर प्रभाव, मौसम और जलवायु आदि का गहनता से अध्ययन करते हैं। ज्योग्राफी में ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) और ज्योग्राफिक इनफर्मेशन सिस्टम भी आता है। इस प्रकार आज मनुष्य सभ्यता के जिस मुकाम पर है, वहां प्राकृतिक आपदा, जलवायु परिवर्तन, आबादी में अत्यधिक वृद्धि, तेजी से बढ़ता शहरीकरण, प्राकृतिक संसाधनों की अपर्याप्तता और बहुसांस्कृतिक एकीकरण जैसे मुद्दों को भूगोल के पेशेवर ज्ञान से ही हल किया जा सकता है।
बारहवीं के बाद रखें कदम
ज्योग्राफी में बैचलर से लेकर पीएचडी लेवल तक के कोर्स मौजूद हैं। इसमें करियर बनाने के रास्ते बारहवीं क्लास के बाद ही खुलते हैं। कई इंस्टिट्यूट हैं जो कि इस फील्ड में बीएससी और बीए डिग्री कोर्स चलाते हैं। साइंस या आट्र्स बैकग्राउंड वाले स्टूडेंट्स इनके लिए एप्लाई कर सकते हैं। कई इंस्टिट्यूट इसके लिए इंट्रेस एग्जाम भी कराते हैं। बैचलर डिग्री के बाद किसी स्पेशलाइजेशन के साथ मास्टर्स डिग्री की जा सकती है। इसके बाद पीएचडी की राह आसान हो जाती है। स्नातक के बाद विशेष सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स भी होते हैं। इसमें ज्यादातर कोर्स रेगुलर व पत्राचार, दोनों तरह से होते हैं।
ज्योग्राफी से जुड़े प्रमुख कोर्स एवं अवधि
बीएबीएससी-ज्योग्राफी. 3 वर्ष
एमएससी-ज्योग्राफी. 2 वर्ष
एमएससी-ज्योइंफॉर्मेटिक्स.2 वर्ष
मास्टर ऑफ इन जूलॉजी .2 वर्ष
पीएचडी ज्योग्राफी.2 वर्ष
पीएचडी ज्योमैग्नेटिज्म.2 वर्ष
मास्टर ऑफ फिलोसफी इन ज्योग्राफी.2 वर्ष
डॉक्टर ऑफ फिलोसफी इन ज्योग्राफी .2 वर्ष
डॉक्टर ऑफ फिलोसफी इन पॉलिटिकल ज्योग्राफी.2 वर्ष
पीजी डिप्लोमा कोर्स इन ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम. एक वर्ष
पीजी डिप्लोमा इन ज्योग्राफिकल काटरेग्राफी .एक वर्ष
जियोइन्फॉर्मेटिक्स एंड रिमोट सेंसिंग.छह माह
प्रमुख संस्थान
दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय, दिल्ली
जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़
पटना यूनिवर्सिटी, पटना
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी
बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रांची
इंस्टीट्यूट ऑफ जिओइंफॉर्मेटिक्स एंड रिमोट सेंसिंग, कोलकाता
चाहिए यह जरूरी स्किल्स
भूगोल में करियर बनाने के लिए यह बेहद जरूरी है कि आपके अंदर विषय के प्रति गहरी रुचि और ज्ञान के साथ-साथ दूसरे लोगों के साथ तालमेल बिठाकर चलने की क्षमता हो। इसमें कोर्स के अलावा कई तरह के गुण-मसलन कम्प्यूटर का ज्ञान, लॉजिकल व एनालिटिकल थिंकिंग, अच्छी कम्युनिकेशन स्किल, आंकड़ों व समस्याओं को सुलझाने का कौशल, आकलन का गुण आदि प्रोफेशनल्स को कदम-कदम पर मदद पहुंचाते हैं। इस क्षेत्र में काम करने वालों को काफी भागदौड़ भी करनी पड़ती है, इसलिए शारीरिक तौर पर स्वस्थ रहना भी जरूरी है।
ज्योग्राफी में जॉब की संभावनाएं
भूगोल काफी व्यापक विषय है। इसलिए इसमें करियर की संभावनाएं भी अधिक हैं। भूगोल के जानकार को रिमोट सेंसिंग एजेंसी, कार्टोग्राफी (नक्शे बनाना), मैप एजेंसी, खाद्य सुरक्षा, बायोडायवर्सिटी, शिक्षण, ट्रांसपोर्टेशन, पर्यावरण विज्ञान, एयरलाइन रूट, शिपिंग रूट प्लानिंग, सैटेलाइट टेक्नॉलजी, जनसंख्या परिषद, मौसम विज्ञान विभाग, आपदा प्रबंधन जैसे कई क्षेत्रों में नौकरी मिल सकती है। सेटेलाइट टेक्नोलॉजी और ज्योग्राफिकल इंफॉर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) के प्रयोग में बढ़ोतरी के चलते संबंधित कोर्स और प्रोफेशनल्स की डिमांड भी बढ़ी है। इसमें सरकारी व प्राइवेट, दोनों क्षेत्रों में काम की प्रचुरता है। एनजीओ, ज्योग्राफिकल सर्वे ऑफ इंडिया, मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट, रिसर्च इंस्टीटय़ूटए स्कूल-कॉलेज, मैप पब्लिशर व ट्रेवल एजेंसियां अपने यहां योग्य लोगों को जॉब देती हैं। प्रोफेशनल्स चाहें तो फ्रीलांसर व कंसल्टेंट के अलावा विदेश जाकर अपनी क्षमता आजमा सकते हैं।
टीचर और प्रोफेसर
आप इस सब्जेक्ट के जुरिए टीचिंग के क्षेत्र में भी करियर बना सकते हैं। बीए के बाद बीएड कर भूगोल के शिक्षक और पीजी, पीएचडी कर लक्चरर प्रोफेसर बन सकते हैं।
सिविल सर्विस
ज्योग्राफी भारतीय और राज्य प्रशासनिक सेवा में स्कोरिंग सब्जेक्ट माना जाता है। इस विषय के माध्यम से प्रशासनिक सेवा का हिस्सा भी बन सकते हैं।
कार्टोग्राफर
इनका मुख्य काम नक्शे और उससे संबंधित डायग्राम, चार्ट, ट्रैवल गाइड आदि बनाने और पुराने नक्शों व दस्तावेजों का जीर्णोद्धार करना है। इन पेशेवरों को सरकारी सर्वेक्षण, संरक्षण और प्रकाशन क्षेत्र में जॉब मिलता है। सर्वेयर, ड्राफ्टर आदि भी बन सकते हैं।
वेदर फोरकास्ट
आप मौसम विज्ञान विभाग में पूर्वानुमान व्यक्त करने का काम कर सकते हैं। इसी तरह कैटेस्ट्रोफ मॉडलर या इमरजेंसी प्लानर के रूप में भी काम कर सकते हैं। इनका मुख्य काम लोगों को प्राकृतिक आपदा जैसी स्थितियों से निपटने के लिए तैयारी करना है। इनका काम इंश्योरेंस कंपनियों को डाटा और कंप्यूटर कैलकुलेशन के जरिए यह बताना भी है किसी आपदा की स्थिति में उनकी कंपनी को कितना घाटा हो सकता है।
पर्यावरण सलाहकार व अधिकारी
पर्यावरण सलाहकार का मुख्य काम अपने वाणिज्यिक या सरकारी ग्राहकों से पर्यावरण संबंधी नियमों का पालन कराना और विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों पर काम कराना होता है।
पर्यावरण संरक्षण अधिकारी का कार्य प्राकृतिक वातावरण की रक्षा करना और स्थानीय समुदायों के बीच पर्यावरण से जुड़ी जागरूकता बढ़ाना है। मुख्य रूप से सार्वजनिक क्षेत्र में काम मिलता है।
आप रीसाइकिलिंग ऑफिसर के तौर पर भी काम कर सकते हैं। इनका मुख्य कार्य रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देकर कचरे को कम करना होता है। ये पर्यावरण के अनुकूल और अपशिष्ट पदार्थों में कमी की नीतियां व योजनाएं बनाते और लागू करवाते हैं। इनको सरकारी, रीसाइक्लिंग के प्रोजेक्ट्स या पर्यावरण पर काम करने वाली गैर सरकारी संस्थाओं में काम मिलता है।
टाउन प्लानर, लैंडस्केप आर्किटेक्ट
इसके तहत शहरों, कस्बों, गांवों के विकास और प्रबंधन की योजना बनाना, उसमें विकास के स्थायित्व और प्राकृतिक वातावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करना, मौजूदा बुनियादी ढांचे में सुधार करना और पर्यावरण संबंधी मुद्दों का हल निकालने का काम किया जाता है। इन्हें सार्वजनिक व निजी दोनों क्षेत्रों में काम मिलता है।
लैंडस्केप आर्किटेक्ट का मुख्य काम पार्क, नेचर रिजर्व, नई जगहों पर बसावट और इंडस्ट्रियल लैंडस्केप की रूपरेखा बनाना, उन्हें तैयार करना और उनका प्रबंधन करना है।
ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम्स ऑफिसर
इनका मुख्य कार्य ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम्स (जीआईएस) से प्राप्त जटिल भौगोलिक सूचनाओं को एकत्र कर विश्लेषित, प्रबंधित और प्रस्तुत करना होता है। इन सूचनाओं का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में पर्यावरण के अनुकूल निर्णय लेने के लिए किया जाता है। इन्हें रक्षा, दूरसंचार और परिवहन, मौसम विज्ञान, तेल, गैस आदि क्षेत्रों में रोजगार मिलता है।
पत्रकारिता
भूगोल की पढ़ाई कर आप ट्रैवल राइटर या एन्वायरन्मेंटल जर्नलिस्ट बन सकते हैं।
एन्वायरन्मेंटल लॉयर
यह पेशा अपनाने के लिए भूगोल में स्नातक करने के बाद लॉ करना होगा। एन्वायरन्मेंटल लॉयर प्रदूषण की रोकथाम, जलवायु नियंत्रण और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के क्षेत्र में काम करते हैं।
सेलरी
जियोग्राफर को देश-विदेश में काम मिलता है। काम, अनुभव व संस्थान के हिसाब से उन्हें आकर्षक सेलरी दी जाती है। सरकारी एजेंसियों की तुलना में प्राइवेट संस्थान प्रोफेशनल्स को ज्यादा मोटा वेतन देते हैं। आमतौर पर प्रोफेशनल्स को शुरुआती चरण में 15-20 हजार रुपए प्रतिमाह की सेलरी मिलती है जबकि दो-तीन साल के अनुभव के बाद यही सेलरी बढ़ कर 30-35 हजार हो जाती है। जबकि उच्च पदों पर बैठे प्रोफेशनल्स को 1 लाख 20 हजार रुपए प्रतिमाह तक का पैकेज मिल रहा है।