
- इकोनॉमिक्स यानि अर्थशास्त्र ऐसा सब्जेक्ट जो कला संकाय का होते हुए भी, साइंस के किसी भी सब्जेक्ट को टक्कर देता है। अगर आपकी मैथ्स से दोस्ती है, डेटा से खेलने में मजा आता है और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के आर्थिक मुद्दों में दिलचस्पी है तो इकोनॉमिक्स में करियर बनाने के बारे में सोच सकते हैं।
इकोनॉमिक्स यानि अर्थशास्त्र ऐसा सब्जेक्ट जो कला संकाय का होते हुए भी, साइंस के किसी भी सब्जेक्ट को टक्कर देता है। अगर आपकी मैथ्स से दोस्ती है, डेटा से खेलने में मजा आता है और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के आर्थिक मुद्दों में दिलचस्पी है तो इकोनॉमिक्स में करियर बनाने के बारे में सोच सकते हैं। इकोनॉमिक्स की अहमियत इसी बात से समझी जा सकती है कि इस विषय के लिए अलग से नॉबेल पुरस्कार दिया जाता है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, अमत्र्य सेन ने लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स में पढ़ाया है तो उर्जित पटेल और कौशिक बसु ने एलएसई में पढ़ाई की है। इसके अलावा भी रघुराम राजन, जगदीश भगवती और कई ऐसे ही नाम हैं जिन्होंने इकोनॉमिक्स को करियर बनाया और खासा नाम कमाया है।
सोच और व्यवहार प्रॉब्लम सॉल्विंग हो
इकोनॉमिक्स एक बड़ा सब्जेक्ट है, लेकिन इसे मोटे तौर पर विभिन्न बाजारों के अध्ययन के रूप में समझा जा सकता है। इस विषय में अर्थव्यवस्था शामिल होती है और कैसे बाजारों में खरीददार और विक्रेता अपने संसाधनों का उपयोग करके आगे बढ़ते हैं। पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था कैसे चलती है, लोगों के पॉकेट और मार्केट का क्या रिलेशन है, जीडीपीए मुद्रास्फीति और बेरोजगारी जैसे विषयों पर सरकारी नीति कैसे काम करती है। इकोनॉमिक्स में करियर बनाने के लिए आपकी सोच और व्यवहार प्रॉब्लम सॉल्विंग हो क्योंकि कंपनी या सरकार में उसे नई-नई समस्या से दो-चार होना पड़ेगा। हर किसी को डेटा साइंटिस्ट, रिसर्चर या पॉलिसी मेकर नहीं बनना है, इसलिए इससे संबंधित स्किल भी उन्हीं को डिवेलप करनी चाहिए जिन्हें ऐसे क्षेत्रों में जाना है। जिन लोगों को विश्लेषक नहीं बनना बल्कि कॉरपोरेट जॉब करना है, उनके लिए इंटरपर्सनल ट्रेनिंग ज्यादा फायदेमंद है। इसे ग्रुप स्टडी, डिस्कशन आदि की तैयारी से हासिल किया जा सकता है।
अंग्रेजी की भूमिका कितनी
इकोनॉमिक्स में करियर बनाने के लिए बहुत शानदार इंग्लिश की जरूरत नहीं है। इसमें भी उतनी ही इंग्लिश चाहिए जितनी फिजिक्स-केमिस्ट्री को समझने के लिए। अगर इस फील्ड में विशेषज्ञ बनना है और राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करना है तो शानदार अंग्रेजी की जरूरत है।
12वीं में क्या सब्जेक्ट हों
किसी मान्यताप्राप्त बोर्ड से 12वीं कर चुका स्टूडेंट, चाहे वह किसी भी स्ट्रीम-आट्र्स, साइंस, कॉमर्स का हो, ग्रैजुएशन में इकोनॉमिक्स रख सकता है। हालांकि 12वीं तक मैथ्स एक विषय के रूप में अगर शामिल रहता है तो उन्हें ज्यादा तरजीह देते हैं।
बीए ऑनर्स या बीएससी ऑनर्स
इकोनॉमिक्स के लिए बीए और बीएससी ऑनर्स में से बेहतर कौन है, इस पर अक्सर चर्चा होती है। लोग इसे अब भी साइंस या कला में बांटने की कोशिश करते हैं। सच तो यह है कि इकोनॉमिक्स एक ऐसा सब्जेक्ट है जिसे कला, साइंस और कॉमर्स तीनों स्ट्रीम वाले पढ़कर करियर बना सकते हैं। आज भी कुछ यूनिवर्सिटी इकोनॉमिक्स से ग्रैजुएशन के बाद बैचलर ऑफ कला की डिग्री प्रदान करती है जबकि दूसरी बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री देती है। मसलन कैंब्रिज यूनिवर्सिटी और दिल्ली यूनिवर्सिटी जहां बीए ऑनर्स की डिग्री प्रदान करती है। वहीं लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और कलकत्ता यूनिवर्सिटी बीएससी ऑनर्स की डिग्री जारी करती है। बीए और बीएससी के अलावा बैचलर इन बिजनेस इकनॉमिक्स में भी इकोनॉमिक्स की पढ़ाई होती है लेकिन इसमें इकनॉमिक्स की पूरी पढ़ाई नहीं होती। इसमें एक बड़ा हिस्सा बिजनेस स्टडी का होता है।
ग्रैजुएशन लेवल पर पढ़ाई
वैसे तो इकोनॉमिक्स का सिलेबस हर यूनिवर्सिटी की अलग-अलग हो सकता है लेकिन इकोनॉमिक्स का परिचय माइक्रोइकनॉमिक्स, मैक्रोइकनॉमिक्स, मैथ्स, स्टैट ऐसे विषय हैं जो ज्यादातर यूनिवर्सिटीज में पढ़ाए ही जाते हैं। इनके अलावा डेटा साइंस भी इसमें हो सकती है। अंडरग्रैजुएशन के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफंस कॉलेज, हिंदू कॉलेज, लेडी श्रीराम कॉलेज, श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, कोलकाता यूनिवर्सिटी का प्रेजिडेंसी कॉलेज, पुणे का फग्यूर्सन कॉलेज भी बेहतर माने जाते हैं।
ग्रैजुएशन के बाद जॉब
इकोनॉमिक्स से ग्रैजुएशन के बाद एक्रिअल साइंस या रिस्क मैनेजमेंट फील्ड में एक प्रोफेशनल के रूप में जुड़ सकते हैं। इस सेक्टर में पैकेज भी अच्छा मिलता है। इसके अलावा डेटा एनालिसिस है, जिसे बिजनेस एनालिटिक्स या डेटा साइंस या बिग डेटा एनालिटिक्स के रूप में भी जाना जाता है, इसमें भी शानदार करियर है। दरअसलए डेटा का पूरा खेल स्टैटिक्स से जुड़ा है, इसलिए इकोनॉमिक्स वालों की मांग इसमें भी है। अगर किसी स्टूडेंट ने अच्छे कॉलेज से इकोनॉमिक्स से ग्रैजुएशन किया है तो 6 से 8 लाख रुपये सलाना तक के पैकेज ऑफर हो रहे हैं।
पोस्ट ग्रैजुएशन जरूरी
अगर पढ़ाई किसी अच्छे कॉलेज से हुई है तो जॉब मिल जाती है लेकिन अच्छी जॉब और पैकेज के लिए पीजी करना भी जरूरी है। दरअसल, अंडर ग्रैुजएट कोर्स को स्पेशलाइजेशन नहीं माना जाता। जब कोई पीजी करके जॉब ढूंढता है तो पब्लिक पॉलिसीज से जुड़े फील्ड में भी आसानी से जॉब मिल जाती है। जैसे-सरकार के लिए नीति बनाना, कंपनी के लिए पॉलिसी मेकिंग आदि। दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स, इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टिट्यूट, इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ डिवेलपमेंट एंड रिसर्च, जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी पोस्ट ग्रैजुएशन के लिए देश के बेहतरीन कॉलेज माने जाते हैं।
पीजी के बाद यहां मिलेगा जॉब
गवर्नमेंट और प्राइवेट सेक्टर में पॉलिसी मेकिंग में इकोनॉमिक्स के जानकारों की डिमांड है। नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनॉमिक्स रिसर्च, इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च और इंस्टिट्यूट ऑफ इकोनॉमिक्स ग्रोथ जैसे विभिन्न संस्थानों में इनकी डिमांड है। इकोनॉमिक्स इन संस्थानों में आर्थिक रुझानों का एनालिसिस, डिवेलपमेंट और इकोनॉमिक्स ग्रोथ की भविष्यवाणी करते हैं। इसके अलावा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अपनी अलग-अलग भर्ती परीक्षाओं के जरिए से इकोनॉमिस्ट को बैंकिंग क्षेत्र में नियुक्त करता है। सरकार या केंद्रीय बैंक के साथ-साथ स्टूडेंट्स चाहें तो इंडियन इकोनॉमिक सर्विस से भी जुड़ सकते हैं। इनके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर की संस्थाएं-जैसे वल्र्ड बैंक, आईएमएफ जैसे ऑप्शन भी हैं, जहां अच्छे इकोनॉमिस्ट की जरूरत होती है। हालांकि इनमें पीएचडी वालों की डिमांड भी ज्यादा होती है। अगर किसी स्टूडेंट ने देश या विदेश के बेहतरीन संस्थान से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है तो उसे कम से कम 10 से 20 लाख रुपये का सलाना पैकेज ऑफर हो ही जाता है। कई बार 20 लाख से भी ज्यादा का पैकेज मिल जाता है।
ऑन्ट्रप्रनरशिप में बढ़ जाते कामयामी के मौके
वैसे स्टार्टअप तो कोई भी शुरू कर सकता है लेकिन एक इकनॉमिस्ट इसे अच्छी तरह संभाल सकता है। वह मार्केट शेयर, इनवेस्टर वैल्यू आदि को अच्छी तरह समझता है। वह किसी भी संसाधन का बेहतर और पूर्ण उपयोग जानता है क्योंकि ये बातें इकोनॉमिक्स में पढ़ाई भी जाती हैं।
विदेश में इकोनॉमिक्स की पढ़ाई
इकोनॉमिक्स के लिए टॉप 20 यूनिवर्सिटी में से 18 अमेरिका या ब्रिटेन में स्थित हैं। ब्रिटेन में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स , ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी और अमेरिका में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी को बेहतर माना जाता है। इनके अलावा टॉप 50 में दूसरे सिंगापुर, कनाडा, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटीज शामिल हैं। इनसे डिग्री हासिल करने पर उसे नेशनल और इंटरनेशनल, दोनों स्तर पर काम करने का मौका मिल जाता है।