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यूक्रेन में फंसे 14 हजार से अधिक भारतीय मेडिकल स्टूडेंट

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रूस यूक्रेन की जंग में भारत के 16 हजार लोंगों को लाने का प्रयास ऑपरेशन गंगा के जरीये जारी है इन 16 हजार लोगों में 14 हजार भारतीय छात्र हैं और ज्यादातर मेडिकल के छात्र हैं। भारत में मेडिकल की पढ़ाई की पूरी व्यवस्था होने के बाद भी क्यों ज्यादा भारतीय छात्र यूक्रेन पढ़ने जाते हैं ये सवाल अक्सर लोगों के जहन में आ रह होगा आना भी चाहिए तो इसी सवाल के जवाब के साथ हम हाजिर हुए हैं।

यूक्रेन और रूसी सेना के बीच चल रहे विवाद में भारत के हजारों छात्र यूक्रेन में फंसे हुए हैं। यूक्रेन में फंसे छात्र और उनके परिजन भारत सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यूक्रेन में 18 हजार से अधिक भारतीय छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं इसी तरह रूस में भारतीय छात्रों की संख्या करीब 14 हजार है यानी इन दोनों देशों में मिलाकर करीब 32,000 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं।

सवाल यह है कि इतनी बड़ी संख्या में भारतीय छात्र विदेशों के लिए रोक क्यों करते हैं देश में हर साल लाखों छात्र नीट की परीक्षा देते हैं इनमें से कई कट ऑफ लिस्ट में आ जाते हैं, लेकिन उन्हें सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीट नहीं मिलती ऐसे छात्रों को डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने के लिए निजी मेडिकल कॉलेजों का सहारा रहता है। इनमें से कई छात्र यूक्रेन, रूस, बांग्लादेश आदि जैसों की तरफ रुख करते हैं भारत की तुलना में इन देशों में डॉक्टर की पढ़ाई का खर्च काफी कम है।

डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने के लिए जाते हैं

इसकी एक और वजह प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरी की पढ़ाई का खर्च काफी महंगा होना भी है। भारत जैसे देश में आज भी MBBS की डिग्री अच्छे रोजगार की गारंटी है। भारत में अभी MBBS की करीब 88 हजार सीटें ही हैं, लेकिन 2021 में मेडिकल प्रवेश परीक्षा, NEET में 8 लाख से ज्यादा कैंडिडेट्स बैठे थे। यानी, करीब 7 लाख से ज्यादा कैंडिडेट्स का डॉक्टर बनने का सपना हर साल अधूरा ही रह जाता है। यही वजह है कि डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने के लिए हर साल हजारों की संख्या में भारतीय युवा यूक्रेन और अन्य देशों का रुख कर लेते हैं। देश में प्राइवेट मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई करने का खर्च करीब एक करोड़ रुपए आता है। वहीं, यूक्रेन जैसे देशों में मेडिकल की पढ़ाई महज 25 लाख रुपए में हो जाती है। यूक्रेन और रूस जैसे देशों में दाखिला लेना ज्यादा आसान नहीं है। लेकिन फीस के मामले में यह भारत से कहीं ज्यादा सस्ता है। जिसकी वजह है कि बड़ी संख्या में छात्र यूक्रेन जाकर मेडिकल की पढ़ाई करते हैं। भारत के प्राइवेट कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए छात्रों को 1 करोड़ रुपए जरूरत होती है, लेकिन यूक्रेन में आप एमबीबीएस की पढ़ाई सिर्फ 25 लाख रुपए में कर सकते है।

यूक्रेन जैसे देशों में मेडिकल पढ़ाई का खर्च भारत से कई गुना कम

भारत में निजी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई का खर्च एक करोड़ से ज्यादा है। अमेरिका में यह सात से आठ करोड़ रुपए और ऑस्ट्रेलिया में चार करोड़ के लगभग है। रूस, यूक्रेन, नेपाल, चीन, फिलीपींस या बांग्लादेश में पढ़ाई करने का खर्च करीब एक चौथाई ही है।

क्या यूक्रेन जैसे देशों से मिली डिग्री भारत में मान्य है?

यूक्रेन जैसे देशों से डॉक्टरी की पढ़ाई करके लौटने वालों के लिए भारत में तुरंत प्रैक्टिस करना मुश्किल होता है। विदेश से मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत लौटने वाले मेडिकल स्टूडेंट्स को फॉरेन मेडिकल ग्रैजुएट्स एग्जामिनेशन (FMGE) की परीक्षा देनी होती है। यह काफी कठिन परीक्षा होती है और इसे पास करना आसान नहीं होता है। इसके लिए कई छात्र कोचिंग तक लेते हैं, क्योंकि इस परीक्षा को पास किए बिना वे भारत में मेडिकल प्रैक्टिस नहीं कर सकते। उन्हें लाइसेंस ही नहीं मिलेगा। पिछले 3-4 एग्जाम के आंकड़ों पर गौर करें तो विदेश से आने वाले सिर्फ 25% मेडिकल छात्र ही FMGE की परीक्षा पास कर पाए हैं, यानी 75% छात्र फेल हो जाते हैं।

 

 

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