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ऐसे करें पीसीएस की तैयारी..

हर राज्य में सिविल सेवा एक्जाम-पीसीएस का आयोजन किया जाता हैं। प्रशासनिक सेवा के यह पद राज्य सरकार के अंतर्गत होते हैं और इसमें ट्रांसफर राज्य की सीमा में ही होता है। प्रशासनिक सेवा परीक्षा से प्राप्त होने वाला पद समाज के बीच सदैव गौरव की विषय वस्तु रही है। आप भी राज्य प्रशासनिक सेवा की तैयारी करना चाहते हैं तो जानें पीसीएस के लिए तय योग्यता, परीक्षा पैटर्न और सफलता पाने के गुर के बारे में।

पीसीएस के लिए योग्यता

राज्य प्रशासनिक सेवा परीक्षा में भाग लेने के लिए अभ्यर्थी के लिए किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। अभ्यर्थी की आयु आमतौर पर 21 वर्ष से 40 वर्ष के बीच में हो सकती है। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को नियमानुसार छूट प्रदान की जाती है।

पीसीएस परीक्षा पैटर्न
पीसीएस परीक्षा कुल तीन चरण में होती है-प्रारंभिक परीक्षा (प्रीलिम्स या प्री), मुख्य परीक्षा (मैन्स) और साक्षात्कार (इंटरव्यू)। सबसे पहले अभ्यर्थी को प्री एग्जाम में भाग लेना होता है। प्री परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले अभ्यर्थी ही मेन यानी मुख्य परीक्षा में भाग ले सकते हैं। मुख्य परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है।
प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स एग्जाम में सामान्य ज्ञान से जुड़े ऑब्जेक्टिव टाइप यानी वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न आते हैं। प्रारंभिक परीक्षा केवल स्क्रीनिंग टेस्ट होती है और यह क्वालिफाइंग ही होती है। इसमें प्राप्त अंकों को मुख्य परीक्षा या साक्षात्कार के अंकों के साथ नहीं जोड़ा जाता है।
राज्य पर फोकस करें
करीब एक तिहाई प्रश्न राज्य विशेष के सन्दर्भ में पूछे जाते हैं। अत: पूरे पाठ्यक्रम का अध्ययन राज्य के सन्दर्भ में करना चाहिए। संबंधित राज्य के इतिहास, कला, संस्कृति, साहित्य, परम्परा एवं विरासत तथा समसामयिक घटनाओं पर फोकस करें। तार्किक विवेचन एवं मानसिक योग्यता, भाषा, गणित से जुड़े प्रश्न भी पूछे जाते हैं जो मुख्यत: मैट्रिक स्तर के होते हैं।
मॉक टेस्ट दें
मॉक टेस्ट देना लाभदायक सिद्ध होता है। इसका सबसे बड़ा फायदा है कि आप परीक्षा में होने वाले तनाव पर नियंत्रण पाना सीख जाते हैं। साथ ही इससे समय प्रबंधन की क्षमता बेहतर होती है। मॉक टेस्ट के दौरान यह प्रयोग भी कर सकते हैं कि प्रश्नों को किस क्रम में करने से आप सबसे बेहतर परिणाम तक पहुंच पा रहे हैं। ऐसे में बार-बार अभ्यास करने से गति बढ़ाई जा सकती है।
मॉक टेस्ट देने से आपको यह अनुमान होता रहता है कि प्रतिस्पर्धियों की तुलना में आपका स्तर क्या है। बिहार के अलावा अन्य राज्यों में निगेटिव मार्किंग होती है। अभ्यर्थी उत्तर नहीं देता तो कोई नम्बर नहीं कटेगा लेकिन हर गलत उत्तर के लिए अंक काटे जाते हैं। यदि अभ्यर्थी किसी प्रश्न के एक से अधिक उत्तर देता है, तो उसको गलत माना जाता है। इसलिए तुक्का पद्धति से बचते हुए सावधानी से उत्तर दें।

मुख्य परीक्षा

यह एक वर्णनात्मक, विश्लेषणात्मक प्रकार की लिखित परीक्षा होती है। इसमें संक्षिप्त, मध्यम और दीर्घ शब्द सीमा वाले प्रश्न पूछे जाते हैं। इन सभी प्रश्नों के उत्तर को आयोग द्वारा दी गई उत्तर पुस्तिका में निर्धारित शब्दों में तय समय सीमा में लिखना होता है। प्रीलिम्स परीक्षा के समान, मेन्स में भी राज्य केन्द्रित जानकारी पर फोकस करना चाहिए।

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सावधानी से चुनें वैकल्पिक विषय

मुख्य परीक्षा में मध्यप्रदेश, राजस्थान में मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन, सामान्य हिंदी व सामान्य अंग्रेजी के प्रश्न पत्र ही होते है। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में इनके अलावा वैकल्पिक विषय भी होता है। आवेदकों को तय विषयों में से मेन्स के लिए एक वैकल्पिक विषय चुनना होता है। उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे वैकल्पिक विषय को बुद्धिमानी से चुनें क्योंकि इसे स्कोरिंग विषय माना जाता है और इससे आवेदकों को वह बढ़त मिल सकती हैै।

चयन में अहम है सामान्य ज्ञान की भूमिका

मुख्य परीक्षा में सामान्य ज्ञान के स्तर को अच्छी तरह से जांचा जाता हैं। करंट अफेयर्स के लिए लगातार अपडेट रहें। इसके लिए आपको प्रतिदिन एक स्तरीय दैनिक अखबार पढऩे व टीवी पर न्यूज चैनल देखने की आदत बनाएं। आपको अच्छे प्रकाशक और लेखक की प्रामाणिक पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए। किसी भी प्रश्न का सही उत्तर की जांच के लिए इंटरनेट की सहायता लेना अति लाभदायक होगा।

तार्किक दक्षता मानसिक योग्यता और संख्यनन पाठ्यक्रम का हिस्सा होता है। इस खंड के लिये अंकगणित के अवधारणात्मक पहलुओं के साथ सांख्यिकीय से सम्बंधित अवधारणाओं एवं प्रश्नों का अभ्यास अत्यंत आवश्यक है। इनकी प्रकृति दसवीं कक्षा के स्तर की होती हैैं। प्रश्नों का अभ्यास पूर्व में पूछे गए प्रश्नों को विभिन्न खंडों में वर्गीकृत कर के किया जा सकता है।

भाषा के पेपर में चाहिए के आहर्ता अंक
भाषागत ज्ञान से सम्बंधित प्रश्नपत्र में सामान्य हिंदी एवं सामान्य अंग्रेजी के प्रश्न पूछे जाते हैं। इसका स्तर सीनियर सेकेंडरी स्तर का होता है। इसके अंतर्गत अंग्रेजी व्याकरण, कॉम्प्रिहेंशन, ट्रांसलेशन, प्रेसी राइटिंग, लेटर राइटिंग, पैराग्राफ राइटिंग इत्यादि के प्रश्न पूछे जाते हैं। सामान्य हिंदी का स्तर भी सीनियर सेकेंडरी स्तर का होता है। इसके अंतर्गत हिंदी व्याकरण, संक्षिप्तीकरण, पत्र-लेखन एवं निबंध लेखन इत्यादि के प्रश्न पूछे जाते हैं। इसमें आपकी किसी विषय की समझने की क्षमता को जांचा जाता है। आपके निबन्ध में आप कभी भी मुख्य टॉपिक से इधर-उधर न जाएं अन्यथा आपको अच्छे अंक प्राप्त नहीं होंगे।
आंसर राइटिंग प्रेक्टिस करें
अभ्यर्थी को पिछलें कुछ वर्षों के प्रश्नपत्रों को हल कर आंसर राइटिंग की प्रेक्टिस करनी चाहिए। प्रश्नपत्रों से आपको प्रश्नों का स्तर और पैटर्न को समझने में सहायता मिलेगी। प्रत्येक वर्ष के प्रश्नपत्र को हल करने के बाद दो या तीन दिन के बाद दोबारा फिर उस प्रश्नपत्र को समय के अंदर हल करने का प्रयास करें। इससें आपको प्रत्येक खण्ड में लगने वाले समय का अनुमान हो जाएगा। अब आपको इस लगने वाले समय को प्रतिदिन कम करते रहना है जिसका लाभ आपको मूल परीक्षा में अवश्य मिलेगा। शिक्षक और सहपाठियों के साथ समूह चर्चा में भाग लेकर अपनी समस्याओं को दूर कर सकते हैं। परीक्षा की तैयारी इंटरनेंट के माध्यम से ऑनलाइन कोचिंग या यूट्यूब से मदद ली जा सकती है।
साक्षात्कार
मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर ही अंतिम रूप से मेधा सूची यानी मेरिट लिस्ट तैयार की जाती है, इसलिए अंतिम चयन एवं पद निर्धारण में साक्षात्कार की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। साक्षात्कार के दौरान अभ्यर्थियों के व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है। जिसमें आयोग के सदस्यों द्वारा मौखिक प्रश्न पूछे जाते हैं जिसका उत्तर अभ्यर्थी को मौखिक रूप से देना होता है। यद्यपि साक्षात्कार इस परीक्षा का अंतिम चरण है लेकिन इसकी तैयारी प्रारंभ से ही शुरू कर देना लाभदायक रहता है। वास्तव में किसी भी अभ्यर्थी के व्यक्तित्व का विकास एक निरंतर प्रक्रिया है।
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