
अन्य राज्यों की प्रशासनिक सेवा की तरह बिहार लोक सेवा आयोग यानि बीपीएससी एक्जाम भी तीन चरण-प्रारंभिक, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार में होता है।
प्रारंभिक परीक्षा
बिहार लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित संयुक्त (प्रारम्भिक) प्रतियोगिता परीक्षा में सामान्य अध्ययन का केवल एक ही प्रश्नपत्र होता है। इसके सभी प्रश्न वस्तुनिष्ठ यानि ओब्जेक्टिव टाइप होते हैं। 150 नम्बर के इतने ही सवाल दो घंटे में हल करने होते हैं। इसमें इसमें सामान्य विज्ञान, देश-विदेश की समसामयिक घटनाओं, भारत और बिहार के इतिहास की मुख्य विशेषताएं, सामान्य भूगोल, बिहार के प्रमुख भौगोलिक प्रभाग तथा यहां की महत्वपूर्ण नदियां, भारत की राज्य व्यवस्था और आर्थिक व्यवस्था, आजादी के बाद बिहार की अर्थव्यवस्था के प्रमुख परिवर्तन, भारत का राष्ट्रीय आंदोलन तथा इसमें बिहार का योगदान और सामान्य मानसिक योग्यता को जांचने से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं। यह परीक्षा क्वालिफाइंग नेचर की होती है। इसमें प्राप्त अंक मैरिट में नहीं जोड़े जाते हैं।
शैक्षिक योग्यता व आयु सीमा
उम्मीदवार को किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक अथवा समकक्ष होना चाहिए। न्यूनतम उम्र पदों के अनुसार 20, 21 या 22 वर्ष होनी चाहिए। वहीं, सामान्य वर्ग के पुरुष उम्मीदवारों की अधिकतम उम्र 37 वर्ष होनी चाहिए। आरक्षित वर्ग और महिला वर्ग के उम्मीदवारों की अधिकतम उम्र सीमा की जानकारी के लिए अधिसूचना देख सकते हैं।
आवेदन शुल्क
सामान्य वर्ग के लिए रू 600, बिहार राज्य के अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति वर्ग, महिला व दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए रू 150 रुपए।
बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा तैयारी के टिप्स
♦ सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्र में कुल 150 प्रश्नों में 15-20 प्रश्न बिहार राज्य विशेष के सन्दर्भ में लगभग पूछे जाते हैं। अत: परीक्षा के पूरे पाठ्यक्रम का बिहार राज्य के सन्दर्भ में अध्ययन करना लाभदायक रहता है।
♦ गणित से भी लगभग 10-12 प्रश्न पूछे जाते हैं। यह मुख्यत: मैट्रिक या इंटरमीडिएट स्तर के होते हैं। इनकी प्रकृति साधारण होती है अत:थोड़ा प्रयास करने से हल हो जाते हैं। हो सके तो गणित में कुछ ऐसे टॉपिक तैयार कर लीजिए जो आपको समझ में आते हैं और जिनसे प्राय: सवाल भी पूछे जाते हैं। उदाहरण के लिए अगर आप श्रेणी-सीरीज़ समीकरण और क्षेत्रफल के टॉपिक्स तैयार कर लेंगे तो गणित के 3-4 प्रश्न ठीक हो जाएंगे।
♦ मॉक टेस्ट देें। इसका सबसे बड़ा फायदा है कि आप परीक्षा तनाव पर नियंत्रण सीख जाते हैं। आपकी समय प्रबंधन की क्षमता भी बेहतर होती है। मॉक टेस्ट देने से आपको यह अनुमान होता रहता है कि प्रतिस्पद्र्धियों की तुलना में आपका स्तर क्या है।
-गत वर्षों में प्रारम्भिक परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों को निर्धारित समय सीमा के अंदर हल करने से जहां विषय की समझ विकसित होती है, वहीं परीक्षा में रिपीट आने वाले प्रश्नों को हल करना आसान हो जाता है।
♦ आप यह प्रयोग भी कर सकते हैं कि प्रश्नों को किस क्रम में करने से आप सबसे बेहतर परिणाम तक पहुंच पा रहे हैं। ऐसे प्रयोगों के आधार पर आप परीक्षा संबंधी रणनीति तय कर सकते हैं। वैसे प्रश्नों को किस क्रम में हल करना चाहिए, किसी विशेष क्रम से क्या फायदा होता है- इसका उत्तर सभी के लिये एक नहीं हो सकता। अगर आप सामान्य अध्ययन के सभी विषयों में सहज हैं और आपकी गति भी संतोषजनक है तो आप किसी भी क्रम में प्रश्न हल कर सफल हो सकते हैं।
यदि आपकी स्थिति इतनी सुरक्षित नहीं है तो प्रश्नों के क्रम पर विचार करना चाहिए। ऐसी स्थिति में आप सबसे पहले उन प्रश्नों को हल करें जो सबसे कम समय लेते हैं।
यदि आपकी बिहार राज्य विशेष के सन्दर्भ में पकड़ अच्छी है तो आपको इससे सम्बंधित15 से 20 प्रश्नों को पहले हल कर लेना चाहिए। उनमें समय कम लगेगा और उत्तर ठीक होने की संभावना ज़्यादा होगी। इससे आपकी स्थिति काफी मजबूत हो चुकी होगी।
इसके बाद आप तेज़ी से वे प्रश्न करते चलें जिनमें आप सहज हैं और उन्हें छोड़ते चलें जो आपकी समझ से परे हैं।
जिन प्रश्नों के संबंध में आपको लगता है कि वे पर्याप्त समय मिलने पर किये जा सकते हैं, उन्हें निशान लगाकर छोड़ते चलें।
एक सुझाव यह भी हो सकता है कि एक ही प्रकार के प्रश्न लगातार करने से बचें। अगर आपको ऐसा लगे तो बीच में गणित या तर्कशक्ति के कुछ सवाल हल कर लें, उसके बाद अन्य प्रश्नों को हल करें।
♦ इस परीक्षा में किसी भी प्रकार के ऋणात्मक अंक का प्रावधान नहीं है, इसलिये किसी भी प्रश्न को अनुत्तरित न छोड़ें और अंत में शेष बचे हुए प्रश्नों को अनुमान के आधार पर हल करने का प्रयास करें।
♦ हर प्रश्न के साथ उसे ओएमआर शीट पर भरने में काफी ज्यादा समय खर्च होता है। ऐसे में कई उम्मीदवार अंत में एक साथ ओएमआर शीट भरना चाहते हैं। इससे समय की कमी होने पर सवाल छूट जाते हैं। ऐसी दुर्घटना से बचने के लिये सही तरीका यही है कि आप 4-5 प्रश्नों के उत्तरों को शीट पर भरते जाएं। व्हाइटनर का प्रयोग कदापि न करें।
बीपीएससी मुख्य परीक्षा
बीपीएससी मुख्य परीक्षा 900 अंक की होती है। इसमें सामान्य अध्ययन के दो वैकल्पिक विषय का एक पेपर होता है। तीन-तीन सौ नम्बर के यह तीनों पेपर तीन-तीन घंटे के होते हैं। इनके अलावा एक अन्य प्रश्न पत्र हिंदी का होता है। यह पेपर क्वालीफाइंग नेचर का होता है। इसमें उम्मीदवार को 100 में से कम से कम 30 अंक प्राप्त करना अनिवार्य होता है। मुख्य परीक्षा में वर्णनात्मक प्रकृति वाले प्रश्न के उत्तर उत्तर पुस्तिका में लिखने होते है। अत: ऐसे प्रश्नों के उत्तर लिखते समय लेखन शैली एवं तारतम्यता के साथ-साथ समय प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना चाहिए। परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिये सम्पूर्ण पाठ्यक्रम की विस्तृत समझ भी आवश्यक है। वैकल्पिक विषय के चयन में भी सावधानी बरतें।
बीपीएससी मुख्य परीक्षा तैयारी के टिप्स
♦ सामान्य अध्ययन के प्रथम प्रश्नपत्र: पाठ्यक्रम में भारत का आधुनिक इतिहास और भारतीय संस्कृति, राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय महत्व का वर्तमान घटनाक्रम, सांख्यिकी विश्लेषण, आरेखन और चित्रण इत्यादि शामिल हैं।
♦ भारत का आधुनिक इतिहास और भारतीय संस्कृति तथा राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय महत्व के वर्तमान घटनाक्रम का अध्ययन बिहार राज्य विशेष के सन्दर्भ में करना प्रासंगिक है। इनसे सम्बंधित ज़्यादातर प्रश्न बिहार से जुड़े हुए होते हैं। राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय महत्व के वर्तमान घटनाक्रम के अध्ययन के लिये इस खंड से सम्बंधित प्रारंभिक परीक्षा के लिये अपनाई गई रणनीति का विस्तृत अध्ययन लाभदायक रहेगा।
♦ सांख्यिकी विश्लेषणए आरेखन और चित्रण से अब तक 50 अंकों का प्रश्न पूछा जाता रहा है जिसे आपको आयोग द्वारा दिये गए उत्तर पुस्तिका में हल करना होता है। यह प्रश्नपत्र 300 अंकों का होता है जिसमें सांख्यिकी से 72 अंकों के प्रश्न पूछे जा रहे है। अत: इस खंड का निरंतर अभ्यास करना चाहिए। इन प्रश्नों की प्रकृति आसान होती है। इसके लिए गत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों का प्रतिदिन अभ्यास करना लाभदायक रहता है। आवश्यकतानुसार एनसीईआरटी की सांख्यिकी की पुस्तक की सहायता ली जा सकती है।
सामान्य अध्ययन द्वितीय प्रश्नपत्र: पाठ्यक्रम में भारतीय राजव्यवस्था, भारतीय अर्थव्यवस्था और भारत का भूगोल, भारत के विकास में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका और प्रभाव शामिल है। इस प्रश्नपत्र के भी सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का अध्ययन बिहार राज्य विशेष के सन्दर्भ में करना प्रासंगिक है।इनसे सम्बंधित ज़्यादातर प्रश्न बिहार से जुड़े हुए होते हैं। साथ ही तकनीक की उपयोगिता से सम्बंधित अनुप्रयोगात्मक प्रश्न भी पूछे जाते हैं।
वैकल्पिक विषय: मुख्य परीक्षा के लिए 34 विषयों में से किसी एक वैकल्पिक विषय का चुनाव करना होता है। उपयुक्त वैकल्पिक विषय का चयन ही वह निर्णय है जिस पर किसी उम्मीदवार की सफलता का सबसे ज्यादा दारोमदार होता है। विषय चयन का असली आधार सिर्फ यही है कि वह विषय आपके माध्यम में कितना स्कोरिंग है। विषय छोटा है या बड़ा, वह सामान्य अध्ययन में मदद करता है या नहीं. ये सभी आधार भ्रामक हैं। अगर विषय छोटा भी हो और सामान्य अध्ययन में मदद भी करता हो किंतु दूसरे विषय की तुलना में 50 अंक कम दिलवाता हो तो उसे चुनना निश्चित तौर पर घातक है। भूलें नहीं कि आपका चयन अंतत: आपके अंकों से ही होता है, इधर-उधर के तर्कों से नहीं।
हिंदी: इस प्रश्नपत्र में 30 अंक से कम अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों की अन्य प्रश्नपत्रों की कॉपियों का मूल्यांकन ही नहीं किया जाता है, इसलिये अन्य प्रश्नपत्र में चाहे जितना भी अच्छा प्रदर्शन किया गया हो हिंदी के प्रश्नपत्र में क्वालिफाइंग अंक प्राप्त करना अनिवार्य है। सामान्य हिंदी में क्वालिफाइंग अंक प्राप्त करने के लिए हिंदी के व्याकरण-उपसर्ग, प्रत्यय, विलोम इत्यादि- की समझ, संक्षिप्त सार, अपठित गद्यांश इत्यादि की अच्छी जानकारी आवश्यक है। इसके लिए हिंदी की किसी स्तरीय पुस्तक का गहराई से अध्ययन एवं उपरोक्त विषयों पर निरंतर लेखन कार्य करना लाभदायक रहेगा।
बीपीएससी साक्षात्कार
मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर ही अंतिम रूप से मेरिट लिस्ट तैयार की जाती है। इसलिए इन परीक्षाओं में अंतिम चयन में साक्षात्कार की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। मुख्य परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों सामान्यत: विज्ञप्ति में वर्णित कुल रिक्तियों की संख्या का 3 गुना को सामान्यत एक माह पश्चात् आयोग के समक्ष साक्षात्कार के लिये उपस्थित होना होता है। बीपीएससी परीक्षा में साक्षात्कार के लिए 120 अंक निर्धारित हैं। साक्षात्कार के दौरान अभ्यर्थियों का व्यक्तित्व परीक्षण किया जाता है। इसमें आयोग के सदस्यों द्वारा मौखिक प्रश्न पूछे जाते हैं। बीपीएससी के साक्षात्कार में सामान्य परिस्थितियों में आप न्यूनतम 45 अंक तथा अधिकतम 85 अंक प्राप्त कर सकते हैं। वास्तव में किसी भी अभ्यर्थी के व्यक्तित्व का विकास एक निरंतर प्रक्रिया है। अत: साक्षात्कार इस परीक्षा का अंतिम चरण है लेकिन इसकी तैयारी प्रारंभ से ही शुरू कर देना लाभदायक रहता है।
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