
पीएफ के दायरे में आने वाले देश के करीब 6 करोड़ कर्मचारियों के लिए राहत की खबर भरी है। इंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (EPFO) ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। यानी आपको 8.5 फीसदी की दर से ब्याज मिलता रहेगा। PF की सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की मीटिंग में ब्याज दरों को बरकरार रखने का फैसला किया गया है।
1952 में था 3 फीसदी ब्याज
1952 में पीएफ पर ब्याज दर केवल 3 फीसदी थी। उसके बाद इसमें बढ़त होती गई। पीएफ धारकों के लिए सबसे अच्छा समय 1989 से 1999 तक था। इस दौरान ब्याज पर 12 फीसदी ब्याज मिलता था। इसके बाद ब्याज दर में गिरावट आनी शुरू हो गई। 1999 के बाद ब्याज दर कभी भी 10 फीसदी के करीब नहीं पहुंची। 2001 के बाद से यह 9.50 फीसदी के नीचे ही रही है। पिछले साल मार्च में पीएफ पर ब्याज दर सात साल के निचले स्तर-8.50 या उससे कम, पर पहुंच गई थी।
80.40 लाख नए लोग जुड़े
दिसंबर तिमाही के आंकड़ों के मुताबिकए कुल 80.40 लाख नए सदस्य पीएफ से जुड़े थे। इसी दौरान 29.47 लाख सदस्य निकल गए थे। निकले हुए मेंबर्स में से बाद में 7.44 लाख फिर जुड़ गए थे। देश में 6.44 करोड़ लोग पीएफ के दायरे में हैं। नियम के मुताबिक वो कंपनियां जिनके पास 20 या इससे ज्यादा लोग काम करते हैं और जिनकी सैलरी 15 हजार रुपए तक होती है, उनको पीएफ लागू करना होता है।
कोरोना के बावजूद कटौती नहीं
कोरोना काल नौकरियां जाने से पीएफ में योगदान भी कम हुआ था। श्रम व रोजगार मंत्रालय की ओर से एक बयान जारी कर बताया गया है कि ट्रस्टीज बोर्ड ने 2021 के लिए ब्याज दरें वहीं रखी हैं क्योंकि ईपीएफओ ने कर्ज और शेयरों से आय प्राप्त की हौ इसके चलते वो अपने सब्सक्राइबर्स को ऊंचे रिटर्न दे पा रहा है।