
पुडुचेरी विधानसभा अध्यक्ष की ओर से नारायणसामी सरकार के बहुमत खोने का ऐलान किए जाने के बाद मुख्यमंत्री ने अपना इस्तीफा उप राज्यपाल को सौंप दिया। इसके साथ ही दक्षिण में कांग्रेस का एकमात्र किला भी उनके हाथ से चला गया।
मुख्यमंत्री नारायणसामी ने कहा- तीन मनोनीत सदस्यों को विश्वास प्रस्ताव में कहीं भी मतदान का अधिकार नहीं है। मेरा संबोधन खत्म होने के बाद सरकार के व्हिप ने इस मुद्दे को उठाया लेकिन अध्यक्ष इससे सहमत नहीं हुए। यह लोकतंत्र की हत्या है। ऐसा देश में कहीं नहीं होता। पुडुचेरी के लोग इन्हें सबक सिखाएंगे। बता दें कि आज यहां विश्वास मत परीक्षण होना था लेकिन मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने इसके पहले ही सदन से वॉकआउट कर दिया। इसके बाद विधानसभा स्पीकर पी शिवकोलंधु ने ऐलान किया कि नारायणसामी सरकार ने यहां बहुमत खो दिया है और उन्हें मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना होगा। पुडुचेरी की नवनियुक्त उप राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन ने मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी को विधानसभा में बहुमत साबित करने का निर्देश दिया था। अध्यक्ष ने घोषणा की कि वो विश्वास मत हार गए हैं। इसके बाद नारायणसामी राज भवन के लिए निकल गए। वोटिंग से पहले बोलते हुए मुख्यमंत्री नारायणसामी ने आरोप लगाया था कि पूर्व उप राज्यपाल किरण बेदी और केंद्र सरकार ने विपक्ष के साथ मिलकर सरकार को गिराने की कोशिश की। हमारे विधायक एकजुट रहे तो हम बीते 5 साल निकालने में सफल रहे। हमने केंद्र सरकार से फंड की अपील की लेकिन वो नहीं देकर केंद्र ने पुडुचेरी के लोगों से धोखा दिया है।
एक महीने पहले शुरू हुआ था संकट
नारायणसामी सरकार का संकट 25 जनवरी को शुरू हुआ था। उस दिन पीडब्ल्यूडी मंत्री नमस्सिवयम और थीप्पाइंजन ने विधायक पद से इस्तीफा दिया था। तीन दिन बाद ही 28 जनवरी को उन्होंने दिल्ली पहुंचकर भाजपा का दामन थाम लिया। इसके 21 दिन बाद 15 फरवरी को मल्लादी कृष्णा राव ने भी विधायकी छोड़ दी। 15 फरवरी को ही पार्टी के सीनियर लीडर राहुल गांधी पुडुचेरी पहुंचे, लेकिन बात नहीं बनी। अगले ही दिन 16 फरवरी को विधायक जॉन कुमार का भी इस्तीफा हो गया। कांग्रेस के एक विधायक धनवेलु को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण पिछले साल जुलाई में ही अयोग्य घोषित कर दिया गया था। 22 फरवरी को फ्लोर टेस्ट होना था। इससे एक दिन पहले ही कांग्रेस के एक और विधायक लक्ष्मीनारायणन और इसके बाद सहयोगी दल डीएमके के वेंकटेशन ने भी विधायकी छोड़ दी। इसके साथ ही नारायणसामी सरकार अल्पमत में आ गई और उसका सरकार बचा पाना मुश्किल हो गया।
केंद्र ने बदला उपराज्यपाल किरण बेदी को
16 फरवरी को कांग्रेस के चौथे विधायक का इस्तीफा होते ही केंद्र की मोदी सरकार एक्शन में आई और आनन-फानन में किरण बेदी को उपराज्यपाल पद से हटा दिया गया। उनकी जगह तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन को प्रभार सौंपा गया। सुंदरराजन ने सरकार से 22 फरवरी को बहुमत साबित करने का निर्देश दिया।
दलबदल: मध्यप्रदेश के बाद पुडुचेरी भी फिसला कांग्रेस हाथ से
2020 की शुरुआत में कांग्रेस राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, पुडुचेरी और महाराष्ट्र में सत्ता में थी। पिछले साल उसके हाथ से सबसे पहले मध्यप्रदेश निकला, जब ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विधायकों ने कमलनाथ से बगावत कर दी। मार्च 2020 में कमलनाथ को इस्तीफा देना पड़ा। अब कांग्रेस को दूसरा झटका पुडुचेरी में मिला है। अब कांग्रेस की सरकार राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में है। महाराष्ट्र में वह शिवसेना-एनसीपी के साथ गठबंधन में है।