
यदि आपको पढ़ाना अच्छा लगता है, आप दयालु प्रवृत्ति के संवेदनशील व्यक्ति हैं और शारीरिक व मानसिक रूप से दिव्यांग विद्यार्थियों की मदद का चुनौतीपूर्ण काम लेने के लिए तैयार हैं, तो आप स्पेशल एजुकेटर बनने पर विचार कर सकते हैं। यहां आपको काम के साथ संतुष्टि भी मिलेगी।
स्पेशल एजुकेटर शिक्षक के रूप में आप विशेष शिक्षा शिक्षक के तौर पर करियर बनाकर मानसिक एवं शारिरिक रूप से अक्षम बच्चों को पढ़ाने का काम करेंगे। स्पेशल एजुकेटर शिक्षक के तौर पर आप सरकारी एवं गैर सरकारी स्कूलों के स्पेशल एजुकेशन विभाग में कार्य कर सकते हैं। एनजीओ इत्यादि से जुड़ कर भी स्पेशल बच्चों को शिक्षा दे सकते हैं। आप स्वयं भी स्वतंत्र रूप से भी ऐसे बच्चों को पढ़ा सकते हैं।
स्पेशल एजुकेटर दिव्यांग विद्यार्थियों को अध्ययन कौशल और जीवन की रणनीति सीखते हैं और उनकी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। वे सामान्य शिक्षा शिक्षकों के लिए सलाहकार के रूप में भी काम करते हैं ताकि वे उन पाठों को अनुकूलित करने में मदद कर सकें जो उनकी कक्षाओं में विशेष शिक्षा छात्रों की जरूरतों को पूरा करेंगे। विशेष शिक्षा शिक्षकों के पास ऐसे छात्र हो सकते हैं जो विशेष विषयों या पाठों के साथ अतिरिक्त सहायता प्राप्त करने के लिए दिन भर में उनसे मिलते हैं।
चुनौतिपूर्ण पर संतुष्टी देने वाला कार्य
विभिन्न क्षमताओं और पृष्ठभूमि के छात्रों के साथ काम करना मुश्किल हो सकता है। स्पेशल एजुकेटर के काम की प्रकृति ऐसी है कि उनमें धैर्य, सकारात्मक दृष्टिकोण, संचार कौशल, रचनात्मकता, अच्छा विश्लेषणात्मक कौशल, निर्देशात्मक कौशल होना चाहिए ताकि सीखने की अक्षमता वाले छात्र को समझकर जीवन के लिए तैयार कर सकें। विशेष शिक्षा शिक्षकों के पास उत्कृष्ट मानवीय संबंध कौशल होना चाहिए ताकि वे सामान्य शिक्षा शिक्षकों, स्कूल परामर्शदाताओं, प्रशासकों और अभिभावकों के साथ व्यक्तिगत शिक्षा योजनाओं को विकसित करने के लिए काम कर सकें जो छात्रों के सर्वोत्तम हित में हैं।
स्पेशल एजुकेशन शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता
स्पेशल एजुकेटर के रूप में करियर बनाने के लिए आप डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं। डिप्लोमा कोर्स के लिए 10+2 न्यूनतम आवश्यकता है। विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों की शिक्षा में छह महीने के सर्टिफिकेट कोर्स के साथ समुदाय आधारित पुनर्वास-डीसीबीआर या मल्टी रिहैबिलिटेशन वर्कर-एमआरडब्लयू में डिप्लोमा आवश्यक है। जबकि विशेष शिक्षा में स्नातक कोर्स के लिए किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से कम से कम स्नातक की डिग्री होनी चाहिए। विशेष शिक्षा में स्नाकोत्तर पाठ्यक्रम भी हैं जिसके लिए स्पेशल एजुकेशन में स्नातक की डिग्री आवश्यक है।