
अगर आपकी रुचि पढ़ाने में नहीं है तो भी आप शिक्षा के क्षेत्र में करियर बना सकते हैं। दरअसल, विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास हो सके, इसके लिए सरकारी और निजी दोनों तरह के स्कूलों में शिक्षा के साथ ही शारीरिक शिक्षा पर भी जोर रहता है। ऐसे में फिजिकल एजुकेशन टीचर्स की जरूरत बढ़ी है। आप फिजिकल एजुकेशन रिलेटेड प्रोफेशनल कोर्स कर फिजिकल एजुकेशन टीचर, स्पोट्र्स टीचर, फिटनेस इंस्ट्रक्टर या स्पोट्र्स प्रोग्राम एग्जिक्यूटिव के तौर काम कर सकते हैं।
डिप्लोमा इन फिजिकल एजुकेशन -डीपीई
डिप्लोमा इन फिजिकल एजुकेशन-डीपीई दो साल का डिप्लोमा प्रोग्राम है जो फिजिकल एजुकेशन पर फोकस करता है। इसके लिए 50फीसदी अंक के साथ साइंस, आट्र्स, कॉमर्स में12वीं पास होना जरूरी है। वे विद्यार्थी जिनके स्कूल के दौरान फिजिकल एजुकेशन विषय था, उन्हें प्राथमिकता दी जाती है। डीपीई में एडमिशन के लिए भी एंट्रेंस एग्जाम देना होगा। कुछ इंस्टीटूट्स 12वीं के स्कोर के मेरिट बेसिस पर भी एडमिशन लेते हैं लेकिन ज्यादातर इंस्टीट्यूट में आपको एंट्रेंस एग्जाम देना होगा। एंट्रेंस टेस्ट में 10+2 लेवल के प्रश्न आएंगे जो जनरल एप्टीट्यूड, सामान्य ज्ञान, साइंस, सोशल साइंस और इंग्लिश लैंग्वेज से होंगे। इसके अलावा एक फिजिकल एफिशिएंसी टेस्ट भी होगा जिसमें अलग-अलग स्पोट्र्स के जरिये आपके स्किल को टेस्ट किया जाएगा। एंट्रेस टेस्ट के बाद जीडी-ग्रुप डिस्कशन और एक इंटरव्यू राउंड होगा। कोर्स की फीस फीस सरकारी और प्राइवेट कॉलेज के हिसाब से 10 हजार से 50 हजार रुपए सालाना हो सकती है। इस कोर्स से संबंधित सिलेबस में मुख्य रूप से इंग्लिश कंपोजिशन, कार्डियोवेस्कुलर एक्सरसाइज, इंट्रोडक्शन टू फिजिकल एजुकेशन, इंट्रोडक्श्न टू एनाटॉमी और साइकोलॉजी आदि का अध्ययन शामिल होता है।
बैचलर ऑफ फिजिकल एजुकेशन-बीपीएड
बैचलर ऑफ फिजिकल एजुकेशन एक अंडर ग्रेजुएट डिग्री प्रोग्राम है। इसके लिए 50 फीसदी अंक के साथ सांइस, आट्र्स या कॉमर्स में 12वीं पास होना जरूरी है। ऐसे विद्यार्थी जिनके स्कूल के दौरान फिजिकल एजुकेशन विषय था, उन्हें वरीयता दी जाती है। बीपीएड के कोर्स की दो तरह की एलिजिबिलिटी होती है। एक जिसमें आप 3-4 साल का कोर्स कर सकते हैं और दूसरा जिसमें 1-2 साल तक के लिए कोर्स कर सकते हैं। 4 साल के लिए योग्यता ऊपर बताए गए अनुसार ही रहेगी। 2 साल कोर्स के लिए कैंडिडेट को 50 से 60 फीसदी अंक के साथ ग्रेजुएशन डिग्री होना जरुरी है। जिन विद्यार्थियों ने ग्रेजुएशन लेवल पर फिजिकल एजुकेशन विषय लिया हो या कॉलेज लेवल पर कोई स्पोट्र्स में भाग लिया हो तो उन्हें प्राथमिकता दी जाती है। आपको इस कोर्स प्रवेश के लिए भी एंट्रेस एग्जाम देना होगा। एंट्रेंस टेस्ट में 10+2 लेवल के प्रश्न आएंगे। टेस्ट जनरल एप्टीट्यूड, सामान्य ज्ञान, साइंस, सोशल साइंस और इंग्लिश लैंग्वेज से होगा। इसके अलावा एक फिजिकल एफिशिएंसी टेस्ट होगा जिसमें अलग-अलग स्पोट्र्स के जरिए आपके स्किल को टेस्ट किया जाएगा। एंट्रेस टेस्ट के बाद जीडी यानि ग्रुप डिस्कशन और इंटरव्यू राउंड होगा। इन टेस्ट के आधार पर आपकी रैंकिंग तय होगी। बीपीएड चार वर्षीय कोर्स में मुख्य तौर से एनाटॉमी, साइकोलॉजी, एरोबिक और स्पोट्र्स से संबंधित थ्योरी का अध्ययन किया जाता है। इस कोर्स के अंतर्गत थ्योरी के साथ फिजिकल एजुकेशन की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग भी दी जाती है। कोर्स में फीस वैसे तो हर इंस्टिट्यूट की अलग-अलग होती है। यह आपके कॉलेज पर निर्भर करेगी। प्राइवेट के मुकाबले एक गवर्नमेंट इंस्टिट्यूट की फीस काफी कम होती है। एक साल की फीस 10 हजार से 60 हजार रुपए हो सकती है।
मास्टर आफ फिजिकल एजुकेशन-एपीइडी
मास्टर आफ फिजिकल एजुकेशन-एपीइडी कोर्स में कैंडिडेट की विषय से संबंधित स्किल्स को बढ़ाया जाता है। इसमें एडवांस्ड एजुकेशन टेक्निक और थ्योरी से संबंधित अध्ययन किया जाता है। इसमें एजुकेशनल प्लानिंग, एनाटॉमी एंड फिजियोलॉजी, फिटनेस एंड कम्युनिटी और न्यूट्रिशन शामिल होता है। मास्टर डिग्री करने वाले कैंडिडेट्स इस क्षेत्र में उच्च पदों पर प्रमोशन का अवसर मिल सकता है। योग्यता के आधार पर वे प्रोग्राम डायरेक्टर या प्रिंसिपल भी बन सकते हैं। हालांकि किसी भी स्ट्रीम से ग्रेजुएट कैंडिडेट फिजिकल एजुकेशन में मास्टर डिग्री कर सकते हैं। लेकिन फिजिकल एजुकेशन में बैचलर डिग्री होल्डर अगर मास्टर्स कर लें तो उनके लिए बेहतर अवसर मिल सकते हैं।
यहां हैं अवसर
फिजिकल एजुकेशन में शिक्षा हासिल करने वालों को गवर्नमेंट और प्राइवेट दोनों ही संस्थानों में कार्य करने का अवसर मिलता है। डिप्लोमा और ग्रेजुएशन करने वाले को स्कूल, जिम या फिटनेस सेंटर में रोजगार के अवसर मिल सकते हैं। वहीं मास्टर डिग्री करने वाले कैंडिडेट को सेकेंडरी स्कूल, कॉलेज, पुलिस डिपार्टमेंट स्पोट्र्स टीम के कोच, स्पोट्र्स मैनेजर के तौर पर काम करने मौका मिलता है। अनुभवी होने पर फिजिकल फिटनेस डायरेक्टर, स्पोट्र्स प्रोग्राम एडमिनिस्ट्रेटर जैसे पदों पर भी जॉब के अवसर मिल सकते हैं। सरकारी संस्थानों में नौकरी मिलने पर कैंडिडेट को केंद्र, राज्य सरकार के वेतनमान के अनुरूप वेतन मिलता है। वहीं प्राइवेट सेक्टर में यह बहुत हद तक ऑर्गनाइजेशन पर निर्भर करता है। प्राइवेट सेक्टर में आमतौर पर शुरुआत में 15 से 30 हजार रुपए सैलरी मिलती है लेकिन जैसे-जैसे अनुभव में वृद्धि होती है, सैलरी में भी इजाफा होता है।