
शिक्षा के क्षेत्र में कई पद होते है जिनमें एक महत्वपूर्ण पद कॉलेज, विश्वविद्यालय के प्रोफेसर का है। कॉलेज प्रोफेसर पद पर किसी का भी सीधे चयन नहीं किया जा सकता है। प्रोफेसर बनने के लिए आपको अपने विषय का गहन ज्ञान होना चाहिए। इसके लिए आपके पास नेट, पीएचडी डिग्री तथा आवश्यक तय अनुभव अनिवार्य है। यदि आप प्रोफेसर बनाना चाहते है तो आपको इस क्षेत्र में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के रूप में अपने करियर की शुरुआत करनी होती है। इसके बाद आपका प्रोमोशन अनुभव, प्रदर्शन और वरिष्ठता के आधार पर आपको पहले एसोसिएट प्रोफ़ेसर और बाद में प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति प्रदान की जाती है।
01. 12वीं में ही तय कर लें विषय
यदि आप कॉलेज, यूनिवर्सिटी में पढ़ाना चाहते हैं तो आपको 11वीं में ही निर्णय लेना चाहिए। जैसे आप हिंदी पढ़ना चाहते हैं तो आपको आर्ट स्ट्रीम लेकर हिंदी जरूर लेना चाहिए। 12 वीं के बाद कॉलेज में भी हिंदी पढ़ें। इसके बाद हिंदी में 55 अंक से अधिक के साथ स्नातकोत्तर डिग्री पूरी करनी होगी। दूसरे शब्दों में कहें तो जिस भी विषय के आप प्रोफेसर बनना चाहते हो, उसी के अनुरूप आपको इंटरमीडिएट में विषय का चुनाव करें। यदि आप अपनी पसंद के सब्जेक्ट का चुनाव नहीं करेंगे, तो रुचि के साथ पढ़ाई नहीं कर पाएंगे और परीक्षा में कम अंक आएंगे। इसलिए आप को जो सब्जेक्ट पसंद हो आप वही सब्जेक्ट लें और अच्छे अंक प्राप्त करें, जिसका लाभ आपको बाद में मिलेगा। उस विषय के बेसिक कंसेप्ट क्लियर करने का अधिक से अधिक प्रयास करें।
2. स्नातक: अधिक अंक प्राप्त करने का लक्ष्य तय करें
बारहवीं की परीक्षा अच्छे अंको से उत्तीर्ण होने के बाद आपको स्नातक में प्रवेश लेना होगा। स्नातक में आप उन्हीं विषयों का चुनाव करें जो आपके बारहवीं में विषय हो इससे आप को बेसिक विषय का ज्ञान पहले से ही होगा और भविष्य में आप अच्छे अंक प्राप्त कर पाएंगे। स्नातक में अच्छे अंक प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित करें और अच्छे से परीक्षा की तैयारी करें। बारहवीं से ही विषय पर पकड़ होने के कारण आपको स्नातक में अच्छे अंक प्राप्त होंगे। यह अंक आपको प्रोफेसर के रूप में स्क्रीनिंग प्रोसेस में लाभकारी सिद्ध होंगे।
3. स्नातकोत्तर: विषय पर पूरी पकड़ बनाएं
स्नातक उत्तीर्ण करने के बाद आप को स्नातकोत्तर में प्रवेश लेना होगा। यहां पर आपको उसी सब्जेक्ट का चुनाव करना चाहिए, जो आपके स्नातक में हो और आपकी पकड़ सबसे अच्छी हो। जिससे अध्ययन करने में आसानी होगी। नेट परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए आपको स्नातकोत्तर में न्यूनतम 55 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य है, अत: आपका लक्ष्य आपको इससे अधिक अंक प्राप्त करने का होना चाहिए।
4. दें नेट परीक्षा
स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद आपको यूजीसी नेट की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। इसके साथ ही पीएचडी डिग्री के लिए अपने विषय में रिसर्च करने के लिए आवेदन कर दें। यहां पर इस बात का ध्यान रखना होगा की कॉलेज टीचर के रूप में चयनित होने के लिए नेट क्लियर करना जरूरी है परन्तु आप अपने विषय में डॉक्टरेट होना भी अत्यंत लाभदायक होता है यदि आपका लेक्चरर या असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में चयन हो जाता है तो आपको प्रोफेसर पद पर प्रमोशन प्राप्त करने के लिए पीएचडी डिग्री अनिवार्य है। इसलिए आपको नेट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद पीएचडी डिग्री करना अति आवश्यक है।
नियमों में बदलाव, इनके लिए नेट अनिवार्य नहीं
यूजीसी ने यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर की सीधी भर्ती को लेकर हाल ही में नई गाइडलाइन जारी की है। इससे अब योग, संगीत, परफोर्मिंग आर्ट, विजुअल आर्ट, मूर्तिकला और नाटक जैसे कुल 8 क्षेत्रों के दिग्गज सीधे प्रोफेसर बन सकते हैं। इन कैंडिडेट्स के लिए यूजीसी नेट परीक्षा पास करने या पीएचडी जरूरी नहीं होगी। इनको ग्रेजुएशन के साथ अपने क्षेत्र में 05 साल का अनुभव जरूरी होगा। एसोसिएट प्रोफेसर के लिए उम्मीदवार के पास अपने फील्ड में 10 साल और प्रोफेसर के लिए 15 साल का अनुभव जरूरी होगा।
अब पैराओलंपित समेत कई अन्य नेशनल और इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले प्लेयर्स और अवॉर्डी सीधे असिस्टेंट प्रोफेसर बन सकते हैं। हालांकि उनके पास ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए।
मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग (एमई) और मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी (एमटेक) कैंडिडेट्स के लिए भी नेट क्वालिफाइ होना जरूरी नहीं है। 55 प्रतिशत अंकों के साथ मास्टर डिग्री वाले को सीधे सहायक प्रोफेसर के पद पर भर्ती होने की अनुमति मिल जाएगी।
एक बदलाव यह है कि अब कैंडिडेट्स को पीजी से इतर सब्जेक्ट से भी नेट परीक्षा देने की आजादी है। अब तक जरूरी था कि जिस विषय में आपने यूजी और पीजी की है, उसी विषय में नेट देकर असिस्टेनेट प्रोफ़ेसर बन सकते थे।
पदोन्नति के नए नियम
असिस्टेंट से एसोसिएट प्रोफेसर पद पर प्रमोशन के लिए कैंडिडेट्स के पास पीएचडी की डिग्री अनिवार्य होगी। बिना इस डिग्री के अभ्यर्थी प्रमोशन नहीं प्राप्त कर सकेंगे।
नए दिशा-निर्देशों ने अकादमिक परफोर्मेंस इंडेक्स सिस्टम को भी समाप्त कर दिया है, जिसका उपयोग फैकल्टी मेंबर्स की पदोन्नति के लिए किया जाता था। चयन समितियां अब उम्मीदवारों का मूल्यांकन उनके व्यापक शैक्षणिक प्रभाव के आधार पर करेंगी, जिसमें शिक्षण में इनोवेशन, टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट, उद्यमिता, बुक राइटिंग, डिजिटल शिक्षण संसाधन, समुदाय और सामाजिक योगदान, भारतीय भाषाओं और ज्ञान प्रणालियों का प्रचार, स्थिरता अभ्यास और इंटर्नशिप, परियोजनाओं या सफल स्टार्टअप का पर्यवेक्षण शामिल है।
05. लेक्चरर, जूनियर फैलो रिसर्चर
स्नातकोत्तर उत्तीर्ण करने के बाद आपको कॉलेज प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी करना होगा। यदि आप पीएचडी कर लेते हैं, तो आपके नाम के आगे डॉ. की उपाधि जुड़ जाएगी। लेक्चरर जूनियर फैलो रिसर्चर बनने के लिए नेट परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य है।
06. एसोसिएट प्रोफ़ेसर
एसोसिएट प्रोफ़ेसर के लिए कॉलेज, यूनिवर्सिटी स्तर पर न्यूनतम 8 वर्ष का शिक्षण या रिसर्च का अनुभव जरूरी है। शैक्षिक योग्यता पीएचडी डिग्री तथा 55 प्रतिशत अंकों सहित स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण हो ।
07. बनेंगे कॉलेज प्रोफेसर
प्रोफेसर बनने के लिए किसी कॉलेज यूनिवर्सिटी में न्यूनतम 10 वर्ष तक पढ़ाने का अनुभव जरूरी है। पीएचडी डिग्री तथा प्रतिष्ठित जर्नलों में शोध पत्रों का प्रकाशन भी जरूरी है।