
UGC PhD Admission 2022: इस वर्ष पीएचडी में दाखिले लेने जा रहे उम्मीदवारों के लिए जरूरी खबर है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने पीएचडी में दाखिले से सम्बन्धित नियमों में बदलाव किया है।
आयोग द्वारा यूजीसी (मिनिमम स्टैंडर्ड्स एण्ड प्रोसीजर्स फॉर अवार्ड ऑफ पीएचडी डिग्री) रेगुलेशंस, 2016 में संशोधन करते हुए प्रस्ताव किया है कि राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) या जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) उत्तीर्ण उम्मीदवारों के लिए पीएचडी की 60 फीसदी सीटों को आरक्षित रखा जाएगा। यूजीसी रेगुलेशंस 2022 के प्रस्तावों को आयोग की 10 मार्च 2022 को हुई बैठक में मंजूरी दी गई। प्राप्त जानकारी के अनुसार, पीएचडी दाखिले को लेकर यूजीसी रेगुलेशंस 2022 को सुझावों के लिए वीरवार को जारी किया जा सकता है।
अभी तक के नियमों के अनुसार, पीएचडी दाखिले के लिए संस्थानों द्वारा प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जाता है। हालांकि, कई संस्थानों में यूजीसी नेट/जेआरएफ उत्तीर्ण उम्मीदवारों को बिना प्रवेश परीक्षा दाखिला दिया जाता है।
देश के विश्वविद्यालयों और सम्बद्ध महाविद्यालयों में विभिन्न विषयों में पीएचडी डिग्री के लिए प्रवेश के नियमों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप संशोधन के प्रस्तावों के अनुसार, चार वर्षीय यूजी कोर्स करने वाले उम्मीदवार सीधे पीएचडी में दाखिले के लिए आवेदन कर सकेंगे। हालांकि, उम्मीदवारों को बता दें कि अब तक नियमों के अनुसार, यूजी के बाद पीजी करने वाले उम्मीदवार ही पीएचडी में प्रवेश ले सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 7.5 के न्यूनतम सीजीपीए (Cumulative Grade Point Average) के साथ चार साल का अंडर ग्रेजुएशन डिग्री होल्डर पीएचडी प्रोग्रामों में प्रवेश ले सकेंगे।
एनईपी 2020 के प्रस्तावों के अनुसार उच्च शिक्षा संस्थान अब चार वर्षीय यूजी डिग्री की शुरूआत कर रहे हैं। इस यूजी कोर्स में मल्टीपल एंट्री-एग्जिट का विकल्प छात्रों को मिलेगा। जिन संस्थानों ने इसे शुरू करने की घोषणा की है, उनमें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू), आदि शामिल हैं।
रिटायरमेंट के बाद भी मिलेगा काम का मौका
आयोग ने इस साल से एमफिल की डिग्री को खत्म करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही यूजीसी रेगुलेशन 2022 के तहत कई अन्य बड़े फैसले भी किए गए हैं। अब शिक्षकों/प्रोफेसर को रिटायरमेंट के बाद भी पेरेंट यूनिवर्सिटी में दोबारा काम करने का मौका दिया जाएगा।
प्रोफेसर के लिए PhD अनिवार्य नहीं
यूजीसी द्वारा लिया गया फैसला देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ाने का ख्वाब देख रहे युवाओं के हक में है।अब केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ाने के लिए पीएचडी की डिग्री जरूरी नहीं होगी। यूजीसी के इस फैसले से संबंधित विषय के विशेषज्ञ यूनिवर्सिटी में पढ़ा सकेंगे।
60 साल की उम्र पार कर चुके प्रोफेसरों को फायदा
चेयरपर्सन जगदीश कुमार ने कहा कि कई क्षेत्र में ऐसे विशेषज्ञ हैं जो यूनिवर्सिटी में पढ़ाना चाहते हैं। ऐसे भी लोग हो सकते हैं जिन्होंने किसी प्रोजेक्ट को बड़े स्तर पर लागू किया हो और उन्हें काफी जमीनी अनुभव है, या फिर ऐसे लोग हैं जो बेहतरीन गायक, म्युजिशियन या डांसर हैं, वो भी इस नियम में बदलाव के बाद पढ़ा सकते हैं। जो भी विशेषज्ञ हैं और 60 साल की उम्र को पार कर चुके हैं वह यूनिवर्सिटी में 65 वर्ष की उम्र तक पढ़ा सकते हैं।
जानिए इस फैसले से स्टूडेंट्स को कैसे मिलेगी राहत
. चार साल का ग्रेजुएशन करने के बाद छात्र सीधे पीएचडी में एडमिशन ले सकेंगे।
. नए कोर्सेस में सब्जेट का कोई हार्ड सेपेरेशन नहीं होगा। जैसे आर्ट्स या साइंस। छात्र अपना विषय कोर्स के बीच में भी बदल सकेंगे।
. कोर्स के बीच ही संस्थान भी बदल सकते हैं। एक तरह से बच्चों को पोर्टेबिलिटी का ऑप्शन मिलेगा।