
टिकटॉक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म को पछाड़ते हुए चैटजीपीटी (ChatGPT) सबसे तेजी से बढऩे वाली यूजर एप्लिकेशन बन गया है। लॉन्चिंग के दो महीने बाद जनवरी में इसने 10 करोड़ मासिक एक्टिव यूजर्स तक पहुंच बना ली है। इंटरनेट पर इन दिनों चैटबॉट-चैटजीपीटी की धूम है। ओपन एआई कंपनी का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से चलने वाला चैटबॉट- चैट जीटीपी आने के बाद से ही यूजर्स का फेवरेट बना हुआ है। यह लोगों के किसी भी सवाल का जवाब सेकंड्स में दे रहा है। यह चैटबॉट इंलिश और हिन्दी सहित100 भाषाओं में चल रहा है। पिछले साल 30 नवंबर को लॉन्च होने के पहले पांच दिन के भीतर ही इसके दस लाख यूज़र्स हो गए। वर्ल्ड स्टेटिस्टिक्स के मुताबिक इस आंकड़ें को छूने में ट्विटर को करीब तीन साल, फेसबुक को 10 महीने और इंस्टाग्राम को तीन माह लगे थे। जनवरी में लगभग 13 मिलियन विजिटर्स ने प्रतिदिन चैटजीपीटी का उपयोग किया। यह संख्या दिसंबर के मुकाबले दोगुने से भी अधिक थी। 10 करोड़ यूजर्स तक पहुंचने में टिकटॉक को ग्लोबल लॉन्च के बाद नौ महीने और इंस्टाग्राम को ढाई साल लगे थे।
यह कर सकता है चैटजीपीटी
चैट जीपीटी (ChatGPT) आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड सॉफ्टवेयर है। पूरा नाम चैट जेनरेटिव प्रीट्रेन्ड ट्रांसफॉर्मर। ओपन सोर्स की वेबसाइट पर जाकर यूजर्स को चैट जीपीटी का आइकॉन क्लिक करना होता है और चैट को जरिए अपना सवाल पूछना होता है।
इस चैट बॉट टूल से आप किसी गहरे दार्शनिक सवालों से लेकर अपनी छोटी-मोटी समस्याओं के बारे में पूछ सकते हैं। विभिन्न विषयों पर आर्टिकल लिखवा सकते हैं। अगर आप एक ब्लॉगर हैं, तो ये आपको एक एसईओ फ्रेंडली आर्टिकल लिखकर दे सकता है। इसके अलावा उसे आप कैसे सर्च इंजन पर रैंक करा सकते हैं, उसके लिए यह टूल आपको अच्छे कीवर्ड्स और यूआरएल भी देता है। ये आपको जटिल रेसिपी समझा सकता है और इसी रेसिपी का नया लज़ीज़ वर्ज़न भी तुरंत तैयार कर सकता है। ऐसा सटीक कॉन्टेट और कविताएं, लिख सकता है जो इंसान के लिखे जैसे ही प्रतीत होते हैं। यह शिक्षा के क्षेत्र में भी महारत रखता है। कठिन से कठिन सवाल हल कर देता है। यह कंप्यूटर प्रोग्रामिंग/कोडिंग करने, टीवी स्क्रिप्ट लिखने और जटिल वैज्ञानिक अवधारणाओं को समझाने में सक्षम है। इस टूल ने हाल ही में यूएस मेडिकल लाइसेंसिंग परीक्षा सहित कुछ प्रमुख परीक्षाएं जैसे एमबीए प्रोग्राम के ऑपरेशंस मैनेजमेंट कोर्स की अंतिम परीक्षा के लिए व्हार्टन बिजनेस स्कूल की परीक्षा और कॉन्स्टिट्यूशनल लॉ में यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा लॉ स्कूल की चार परीक्षाएं भी पास की है।
चैटजीपीटी (ChatGPT) -पहले एलन मस्क, बाद में माइक्रोसॉफ्ट ने किया निवेश
चैटजीपीटी को ओपन एआई ने बनाया है। ये कंपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर रिसर्च करती है। इसके फाउंडर टेस्ला-ट्विटर के मालिक एलन मस्क और ओपन एआई के मालिक सैम अल्टमैन हैं। इन दोनों ने इस पर साल 2015 में काम करना शुरू किया था। बाद में मस्क ने ओपन एआई कंपनी छोड़ दी थी। उस वक्त ये कंपनी नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन थी, लेकिन बाद में इसे माइक्रोसॉफ्ट का सपोर्ट मिला और ये प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन में बदल गई। 2019 में माइक्रोसॉफ्ट ने ओपन एआई में 83 हजार करोड़ का निवेश किया। इस समय ओपन एआई की वैल्यूएशन 20 बिलीयन डॉलर के करीब है। ओपन एआई का हेड क्वार्टर सैन फ्रांसिस्को में है। एआई के चीफ अल्टमैन ही हैं।
ChatGPT कैसे काम करता है चैटजीपीटी
इस सिस्टम को लोगों की राय से बने लर्निंग मॉड्यूल पर ट्रेन किया गया है। जब भी कोई सवाल इससे पूछा जाता है तो वह उस सूचना को दो हिस्सों में देखता है- क्या यह ज़रूरी है या फिर नहीं। इस तरह यह सिस्टम किसी डेटा का विश्लेषण करता है। चैट जीपीटी को ग़लतियां स्वीकार करने के लिए भी प्रशिक्षित किया गया है। ये प्रोग्राम ग़लत धारणाओं को ठीक कर लेता है और ग़ैर-वाजिब सवालों को रिजेक्ट कर देता है। इस प्रकार जैसे इंसान ग़लतियों से सीखता है, वैसे ही यह भी सीखता है। इस चैटबॉट की अनूठी विशेषता है इसकी मेमरी। यह पहले की टिप्पणियों को याद रख सकता है। समय आने पर उन्हें रिकॉल कर सकता है।
ChatGPT गलत जवाब भी दे रहा है चैटजीपीटी
इस प्रोग्राम में कई कमियां देखी जा सकती हैं। शशि थरूर वाली इंग्लिश में लीव एप्लीकेशन लिखने से लेकर और भी कई कठिन सवालों का जवाब देने वाला ये सॉफ्टवेयर कई बार गलत जवाब भी दे रहा है। मॉडल ने गणित की कुछ समस्याओं का गलत उत्तर दिया है और कुछ धार्मिक प्रश्नों पर भेदभावपूर्वक उत्तर दिए हैं। ऐसा इसलिए हो रहा क्योंकि इसकी जानकारी 2021 की वैश्विक घटनाओं तक सीमित है। इस वजह से यूजर्स को कभी-कभार गलत या बेमेल जवाब मिलता है। जैसे एक यूजर ने ऑस्कर को लेकर सवाल किया था। सवाल ये था कि कितने भारतीयों ने अब तक ऑस्कर जीता है? चैट जीपीटी ने गलत जवाब देते हुए 2021 तक सिर्फ भानु अथय्या का नाम लिखा। वहीं, कुछ दिन पहले निशांत विजयन नाम के यूजर ने चैट जीपीटी से शशि थरूर स्टाइल में लीव एप्लीकेशन लिखने को कहा। चैटबोट ने ऐसी अंग्रेजी लिखी कि वो वायरल हो गई। लेकिन जब शशि थरूर ने निशांत के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए कुछ लिखा उसके लिए लोगों को फिर डिक्शनरी का सहारा लेना पड़ा।
ChatGPT चैटजीपीटी दुनिया के लिए खतरनाक !
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से होने वाले खतरे को लेकर टेक कम्युनिटी में लंबी बहस चल रही है। उनका मानना है कि अभी चाहे जितना अच्छा और आसान लग रहा है। बाद में एआई लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर देंगे। कुछ लोगों के मन में नैतिक और सामाजिक चिंता है, जैसे कि गलत सूचनाओं का प्रसार और प्रौद्योगिकी का संभावित दुरुपयोग। क्रिएटिविटी के लिए असाधारण टेलेंट की ज़रूरत होती है लेकिन एल्गोरिदम की मदद से पैदा की गई चीज़ों से मनुष्यों में क्रिएटिव होने की प्रवृति कम होगी। वैज्ञानिक और राजनीतिक दुरुपयोग की आशंका है। राजनीति के लिए एआई एल्गोरिदम की वजह से समाज में गलत जानकारियां या नफरत फैल सकती है। ऐसा हुआ भी है।
ChatGPT छात्रों को बिगाड़ रहा चैटजीपीटी : देश दुनिया के कई स्कूल-कॉलेजों में बैन
शिक्षकों को डर लग रहा है कि इस तरह के एप से सीखने की प्रक्रिया सीमित हो सकती है। इससे होमवर्क असाइनमेंट के लिए चैटजीपीटी का उपयोग करने से छात्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। वे प्रौद्योगिकी पर बहुत अधिक आश्रित हो सकते हैं और समस्या-समाधान और सोचने का कौशल खो सकते हैं। बेंगलुरू के कई कॉलेजों में इस पर रोक लगाने की बात हो रही है। बेंगलुरु के आरवी यूनिवर्सिटी ने इस पर बैन भी लगा दिया है। बेंगलुरु के कॉलेजों में सर्कुलर निकाला गया है कि कोई भी छात्र फाइनल सबमिशन के लिए चैट जीपीटी और इसके जैसे किसी भी ए आई टेक्नोलॉजी का सहारा नहीं लेंगे। भारत के अलावा चैटजीपीटी दुनिया के अलग-अलग शहरों के स्कूलों में पहले ही बैन हो चुका है। न्यूयॉर्क सिटी डिपॉर्टमेंट ऑफ एजुकेशन, सिएटल पब्लिक स्कूल, फ्रांस की टॉप यूनिवर्सिटी में शामिल साइंस पो यूनिवर्सिटी ने इस पर रोक लगाई है। इन सारी ही यूनिवर्सिटीज का मानना है कि इससे स्टूडेंट्स की लर्निंग प्रभावित हो रही है।
ChatGPT चैटजीपीटी से लोगों की नौकरी जाने का खतरा
चैट जीपीटी जिस तरह से यूजर्स की मदद कर रहा वो अभी तो लोगों को काफी अच्छा लग रहा लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट्स पर जिस तरह से लगातार काम हो रहा और फ्यूचर बताया जा रहा, एआई ऑटोमेशन के कारण लोगों की नौकरियां जाएंगी। खासकर लिखने या रिपोर्ट तैयार करने के काम एआई निपुणता से कर सकता है। अगर सिस्टम और बेहतर हुआ तो पत्रकारों की नौकरियां कम होंगी और एक समय ऐसा भी आ सकता है जब उनकी ज़रुरत ही नहीं पड़ेगी क्योंकि हर आर्टिकल तो चैटबॉट ही लिख देगा। चैट जीपीटी की कोड लिखने की क्षमता कंप्यूटर प्रोग्रामर, कस्टमर केयर, वकील और टीचर सहित कई अन्य रोजगार भी छीन सकता है।
ChatGPT चैटजीपीटी जारी हैं बेहतर बनाने के प्रयास
वैसे एआई भी एक निश्चित मूल्यों का पालन करते हैं और ऐसी तकनीकों का अच्छा या बुरा होना उनके निर्माताओं द्वारा निर्धारित मूल्यों पर निर्भर करता है। चैट जीपीटी अवैध या गैरक़ानूनी राय नहीं देगा। किसी ने पूछा कि चोरी कैसे करें तो जवाब मिलेगा यह अपराध है। कंपनी ओपन एआई का भी मानना है कि फ़िलहाल चैटजीपीटी की अभी बीटा टेस्टिंग चल रही है। इस चैटबॉट में अभी भी कई तरह की खामियां हैं और यह कभी-कभी ग़लत या निरर्थक उत्तर लिखता है। इसके लिए उसने उपयोगकर्ताओं से माफी भी मांगी है। कमी को आने वाले समय में ठीक किया जाएगा। चैटजीपीटी के सामने चुनौती यह है कि अगर इसे ज़्यादा सतर्क रहने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है तो यह उन सवालों को भी रिजेक्ट कर देता है, जिनका यह सही उत्तर दे सकता है। इंजीनियर दिन-रात इसे और स्मार्ट बनाने में लगे हुए हैं। वे एल्गोरिदम के ज़रिए दिए गए जवाबों को जांचते हैं और प्रोग्राम को फ़ीडबैक देते हुए, इसे बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे हैं। बहरहाल, चैटजीपीटी की वास्तविक दुनिया पर प्रभाव डालने की क्षमता-विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां संसाधन सीमित है- अकल्पनीय है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में चैटजीपीटी और अन्य एआई मॉडल का उपयोग मानव रचनात्मकता को बढ़ाने, ज्ञान-सृजन के एक उपकरण और विभिन्न क्षेत्रों में शोधकर्ताओं की सहायता के लिए कैसे किया जाएगा।
ChatGPT चैट जीपीटी के साथ हमारा प्रेक्टिकल
आप ये जानकर रोमांचित हो जाएंगे कि यह लेख भी चैटजीपीटी की मदद से लिखा है। इसका इंग्लिश वर्जन बहुत अच्छी तरह कार्य कर रहा है, लेकिन हिन्दी में बहुत काम होना है। जब चैटजीपीटी से मैंने इंग्लिश में उसके नकारात्मक पहलु के बारे में बताने को कहा तो उसने वह भी तार्किक रूप से बताया। चैटजीपीटी से कविताएं लिखवाई तो वे न केवल सुसंगत थीं, बल्कि काव्य संरचना, कल्पना और भाषा की भी अच्छी समझ प्रदर्शित करती थीं, लेकिन हिन्दी में मां पर कविता लिखने को कहा तो चैटजीपीटी ने यह लिखा है-
माँ, तुम्हीं हमारी प्यारी धन हो,
हम सबके दिल में तुम्हारी जगह हो।
माँ, तू हमेशा हमारे साथ है
और हम जहाँ भी हो, तुझे याद होंगे
तुमने हमेशा सुनाई है
तुम्हारी प्यारी बातें,
माँ, तू है हमारी शक्ति और तेज
तू है हमारी आशा और उमंग
मां, तू हमारी जीवन की हर बन्धन है,
तू हमेशा प्यार, सम्मान और
आदर की देवता हो।
ChatGPT चैट जीपीटी गूगल के लिए खतरा
कुछ महीनों में ही लोगों के बीच चैट जीपीटी काफी पॉपुलर हो गया है। इसकी सिंपल सी वजह है कम समय में बेहतरीन जवाब देना। यूजर्स इस पर एक शब्द लिखें या वो रिसर्च चाहते हैं तो ये डिटेल आंसर देता है। वो भी सिर्फ मिनटों में। यूजर्स इसका इस्तेमाल वीडियो स्क्रिप्ट, कविता, निबंध, कवर लेटर, लीव एप्लिकेशऩ के साथ ही किसी मुद्दों को गहराई समझने के लिए भी कर रहे हैं। इस वजह इसकी तुलना गूगल से की जाने लगी है। जीमेल के फाउंडर पॉल बुचेट ने गत 2 दिसंबर को एक ट्वीट में कहा कि चैट जीपीटी के आने के अगले 2 साल में गूगल खत्म हो जाएगा। ये एआई चैटबॉट गूगल के सर्च इंजन के रिजल्ट पेज को एक तरीके से समाप्त कर देगा। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि यदि गूगल खुद अपना एआई लाता है तो भी उसके बिजनेस का ज्यादातर हिस्सा खत्म हो चुका होगा। हालांकि, चैट जीपीटी औऱ गूगल में अंतर है। गूगल पर कुछ भी सर्च करने पर वो जानकारी के साथ ही वीडियो और संबंधित लिंक, ब्लॉग के ऑप्शन भी देता है, जबकि चैट जीपीटी चैट बॉक्स संबंधित जवाब। चैट जीपीटी गूगल की तरह यह आपको कुछ सर्च करने पर बहुत सारे लिंक या विकल्प नहीं देता बल्कि सेकेंड्स में सटीक और सरल जवाब दे देता है। गूगल कई सारे लिंक दिखाता है, इस वजह से कई बार डिटेल रिसर्च करनी पड़ती है और फिर जाकर हम एक नतीजे पर पहुंचते है।
टेक दिग्गज चैटजीपीटी को अपने सर्च बिजनेस के लिए खतरे के रूप में देखता है। चैटजीपीटी के दबाव के बीच गूगल इस साल मई में अपने वार्षिक डेवलपर सम्मेलन के दौरान कम से कम 20 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई)-पावर्ड टूल्स और एक सर्च चैटबॉट पेश करने की तैयारी कर रहा है। इसमें एक इमेज जेनरेशन टूल, एआई टेस्ट किचन का एक उन्नत संस्करण, यूट्यूब के लिए एक टिकटॉक-शैली का ग्रीन स्क्रीन मोड और एक टूल शामिल है, जो अन्य क्लिप को सारांशित कर वीडियो बना सकता है। कंपनी के शॉपिंग ट्राई-ऑन नाम के एक फीचर पर भी काम करने की संभावना है, जो पिक्सल फोन के लिए एक वॉलपेपर निर्माता और एआई-संचालित टूल है, जो डेवलपर्स को एंड्रॉइड एप्लिकेशन बनाने में मदद कर सकता है। स्लाइड डेक में एआई तकनीक के प्राथमिक जोखिमों के रूप में कॉपीराइट, गोपनीयता और अविश्वास का भी उल्लेख किया गया है।
ChatGPT चैट जीपीटी को टक्कर देने के लिए गूगल बार्ड
अल्फाबेट के स्वामित्व वाली कंपनी गूगल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) चैटजीपीटी को टक्कर देने की तैयारी कर रही है। कंपनी अपनी एआइ चैटबॉट सर्विस डेवलप कर रही है। इसे बार्ड नाम दिया गया है। अल्फाबेट और गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने ब्लॉग पोस्ट में बताया कि कंपनी यूजर्स का फीडबैक लेने के लिए बार्ड नाम की कन्वर्सेशनल एआइ सर्विस शुरू कर रही है। इसे लैम्डा (लैंग्वेज मॉडल और डायलॉग एप्लिकेशन) से संचालित किया जाएगा। लैम्डा गूगल का एआइ चैटबॉट है, जो इंसानों की तरह सोच सकता है। कंपनी ने इसे दो साल पहले पेश किया था। पिचाई के मुताबिक कंपनी के नए एआइ चैटबॉट बार्ड को बड़े लैंग्वेज मॉडल की पावर, बुद्धिमत्ता और रचनात्मकता के संयोजन से लैस किया जाएगा। बार्ड यूजर्स के फीडबैक और वेब पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर ज्ञान हालिस करेगा। कंपनी शुरू में लैम्डा के हल्के मॉडल वर्जन के साथ टेस्टिंग के लिए एआइ सिस्टम रोल आउट कर रही है। भविष्य में इस सिस्टम को और बेहतर बनाया जाएगा। गूगल ने हाल ही एंथ्रॉपिक में 40 करोड़ डॉलर का निवेश किया है। दोनों कंपनियां की साझेदारी के तहत चैटजीपीटी जैसा एआइ टूल तैयार होगा।
♦ राजेश जैन