
एक्युरियल प्रोफेशनल्स की मांग उन सभी सेक्टरों में होती है, जहां वित्तीय जोखिम की गुंजाइश होती है। एक्युरी प्रोफेशनल्स मैथ्स और स्टैटिस्टिक्स के मेथड्स का इस्तेमाल कर इंश्योरेंस और फाइनेंस इंडस्ट्री में जोखिम का अनुमान लगाते हैं। फील्ड एक्युरीज प्रोफेशनल्स पॉलिसी होल्डर्स की डेथ, बीमारी, दुर्घटना, विकलांगता आदि की स्थिति में जोखिम का आकलन करते हैं और तय करते हैं कि इंश्योर्ड व्यक्ति को कितनी धनराशि प्रदान की जानी चाहिए। उत्पादों की वृद्धि को सूचीबद्ध करने, उनका मूल्य निर्धारण, जोखिम का आकलन कर दायित्व प्रबंधन का जिम्मा इन्हीं का होता है। प्रोफेशनल का काम अचानक घटी घटना के आर्थिक प्रभाव का अंदाजा भी लगाना होता है। यही कारण है कि इसको इंश्योरेंस इंडस्ट्री की रीढ़ कहा जाता है और डिजिटल और एनालिटिक्स इंडस्ट्री में इसकी काफी मांग है।
यह योग्यता जरूरी
इस इंडस्ट्री में सफल होने के लिए सिर्फ डिग्री ही जरूरी नहीं है, बल्कि प्रैक्टिकल नॉलेज भी स्टूडेट्स को होनी चाहिए। चूंकि यह टेक्निकल सब्जेक्ट है। इसलिए इसमें प्रैक्टिकल असाइनमेंट अधिक होते हैं। खासकर एक्युरियल के स्टूडेंट्स में कम्युनिकेशनल बिहेवियर और किसी प्रोजेक्ट पर उनमें ग्रुप में काम करने की आदत डाली जाती है ताकि इंडस्ट्री में वह बेहतर काम कर सकें।
एक्युरी एक ऐसा पेशा है, जिसमें समय के साथ खुद को अपडेट करने, लोगों की परेशानी को समझने, नई तकनीक सीखने में हिचकिचाहट न होने, संवाद के साथ मैथ व स्टैटिस्टिक्स पर पकड़ मजबूत रखने जैसे गुणों का होना जरूरी है। एक्युरियल साइंस से संबंधित कोर्सेस में स्नातक डिग्री के लिए मैथ्स या स्टेटिस्टिक्स में 55 प्रतिशत अंकों के साथ बारहवीं पास होना आवश्यक है जबकि पीजी डिप्लोमा, मास्टर्स डिग्री और सर्टिफिकेट कोर्स के लिए मैथ्स-स्टेटिस्टिक्स, इकोनॉमेट्रिक्स सब्जेक्ट से स्नातक जरूरी है। एक्युरी बनने के लिए छात्र का एक्युरियल सोसाइटी ऑफ इंडिया एएसआई का फेलो मेंबर होना जरूरी है। यह संस्थान इसमें कोर्सेज भी कराता है। मैथ्स, स्टैटिस्टिक्स वाले बैकग्राउंड वाले ऐसे युवा जो कुछ और सालों तक पढ़ाई करते हैं, एक्युरियल फंंक्शन का मूल्यांकन कर सकते हैं।
यह कोर्स हैं उपलब्ध
इस क्षेत्र में जाने के इच्छुक युवाओं के लिए कई स्तर के कोर्सेज मौजूद हैं-जैसे पीजी डिप्लोमा इन रिस्क एंड इंश्योरेंस मैनेजमेंट, बीएससी इन एक्युरियल साइंस व एमबीए इन इंश्योरेंस, बीए-इंश्योरेंस-तीन वर्ष, पीजी डिप्लोमा इन सर्टिफाइड रिस्क एंड इंश्योरेंस मैनेजमेंट-दो-तीन वर्ष, सर्टिफिकेट कोर्स इन इंटरमिडियरीज-इंश्योरेंस सब्जेक्ट.तीन माह, एमएससी इन एक्युरियल साइंस-दो वर्ष आदि जैसे कोर्स कर सकते हैं। कोर्स के बाद कुछ संस्थाएं छात्रों को मेंबरशिप व फेलो मेंबरशिप प्रदान करती हैं। इसमें आईसीएआई, आईसीडब्ल्यूएआई, आईएफएआई, एएसआई आदि शामिल हैं।
प्रमुख संस्थान
एक्युरियल सोसाइटी ऑफ इंडिया, मुंबई
कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज, दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ वेबसाइट
बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली
यूनिवर्सिटी ऑफ पुणे, पुणे
एमिटी स्कूल ऑफ इंश्योरेंस एंड एक्युरियल साइंस, नोएडा
इन पदों पर कर सकेंगे काम
वैसे आज हर किसी को हाई रिस्क सेफ्टी की जरूरत है। आज लाइफ इंश्योरेंस और जनरल इंश्योरेंस से जुड़ी कंपनियों की संख्या ज्यादा है। इसके अलावा कुछ बैंक भी इस सेक्टर से जुड़ चुके हैं। इधर विदेशी कंपनियों ने भी अपने व्यवसाय जमाने शुरू कर दिए हैं। एक्युरियल साइंस की डिग्री रखने वालों के लिए इन दिनों नौकरियों के लिए कई रास्ते खुल गए हैं। इंश्योरेंस, बैंकिंग, बीपीओकेपीओ, आईटी सेक्टर, मल्टीनेशनल कंपनियों, फाइनेंशियल कंपनियों आदि में इनके लिए अच्छे मौके होते है।