
हमारे यहां 50 साल की उम्र में ज्यादातर महिलाएं जहां दादी-नानी बनने की तैयारी में होती हैं, वहीं केरल के कोच्चि की वी. जयश्री ने वकील बनने का बचपन का सपना साकार कर दिखाया। यही नहीं, V. JayaShree ने एलएलबी परीक्षा में केरल यूनिवर्सिटी में तीसरी रैंक भी हासिल की।
जयश्री बचपन से ही वकील बनना चाहती थीं पर आर्थिक हालात के चलते कट्टकड्डा के क्रश्चियन कॉलेज से ग्रेजुएशन के बाद पढ़ाई नहीं कर सकी। उनको परिवार का खर्च उठाना था। इसलिए वे एक निजी फर्म में अकाउंटेंट बन गई। बाद मौका मिला तो एमए और को-आपरेशन में डिप्लोमा किया पर वकील बनने का सपना अधूरा ही रहा।
उनके कारपेंटर पति गोपा कुमार हमेशा चाहते थे कि वह पढ़ाई करें, लेकिन इस उम्र में जिम्मेदारियां निभाते हुए पढऩा उनके लिए आसान नहीं था। फिर भी जब जयश्री के दोनों बच्चों गोकुल और गोपिका ने कॉलेज ज्वाइन किया तो उन्होंने भी लॉ कालेज में एडमिशन ले लिया और इवनिंग क्लासेस ज्वाइंन कर ली।
अपना सपना पूरा करने के लिए वे सुबह से शाम छह बजे तक जॉब करतीं और उसके बाद कॉलेज में क्लास अटैंड करने जातीं। इसमें सबसे बड़ी परेशानी यह थी कि उनके ऑफिस से कॉलेज तक के लिए बस नहीं थी। ऐसे में पति उन्हें ऑफिस से कॉलेज छोडऩे जाया करते थे। इस तरह वे रात साढ़े 9 बजे घर पहुंचती थीं। उस समय वे वह थकी होती पर हारी हुई कभी नहीं। मन में यह संतोष होता था कि उनके पति-बच्चे हर हाल में उनके साथ हैं।
तमाम बाधाओं के बावजूद जयश्री ने पढ़ाई में अपना शत-प्रतिशत दिया। आखिर पति और परिवार के सपोर्ट से जयश्री ने अपने सपने LLB, Bachelor of Legislative Law को पूरा कर लिया। उन्हें विश्वविद्यालय (Kerala University) की मैरिट में आने की उम्मीद नहीं थी पर तीसरी रैंक मिल गई। आज वे तिरुवनंतपुरम में वेंथियूर कोर्ट में एडवोकेट आर विनोद के अंडर बतौर जूनियर प्रैक्टिस कर रही हैं। भविष्य में क्रिमिनल लॉयर (Criminal Lawyer) बनना चाहती हैं। जयश्री का बेटा गोकुल होटल मैनेजमेंट और गोपिका फिजि़क्स में ग्रेजुएशन कर रहे हैं। सुबह जब वे वकील की पोशाक पहनकर घर से निकली हैं तो बच्चों और पति को उन पर गर्व होता है। देखकर लगता है-उड़ान के लिए पंख नहीं, हौसले चाहिए।