
जंगल की अंधाधुंध कटाई से वन क्षेत्र सिमट रहे हैं। हमारे पारिस्थितिकी तंत्र और पर्यावरण पर इसका बुरा असर भी नजर आ रहा है। ऐसे में वन और उनकी संपदा के संरक्षण और नवीनीकरण की के लिए देश में बड़े पैमाने पर फोरेस्ट्री के विशेषज्ञों के लिए अवसर पैदा हुए हैं और फोरेस्ट्री स्पेशलिस्ट की मांग बढ़ती जा रही है। अगर आपको जंगल से लगाव है तो आप फोरेस्ट्री में अपना रोमांचकारी करियर बना सकते हैं।
क्या है फॉरेस्ट्री
वनों की देखभाल और उन्हें विकसित करने के विज्ञान को फोरेस्ट्री कहते हैं। यह विषय वनों के प्रबंधन पर केंद्रित है। इसमें जंगलों की सुरक्षा और संरक्षण को सुनिश्चित करते हुए पौधरोपण करके उनका संवद्र्धन किया जाता है।
इस विषय का उद्देश्य उन विधियों और तकनीकों को विकसित करना है, जिनसे वन आधारित इंसानी जरूरतें भी पूरी होती रहें और निर्बाध रूप से वनों का विकास भी होता रहे। फोरेस्ट्री के तहत ग्लोबल वार्मिंग, वनों की अंधाधुंध कटाई, जल संकट, प्राकृतिक आपदा और तापमान परिवर्तन आदि मुद्दों को ध्यान में रखते हुए वन संसाधनों का किफायती और नियंत्रित उपयोग करने के बारे में प्रशिक्षण दिया जाता है।
कर सकते हैं यह डिग्री डिप्लोमा
वाइल्ड लाइफ में करियर बनाने के लिए आपको फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी में 12वीं पास होना जरूरी है। इसके बाद फॉरेस्ट्री के बीएससी कोर्स में प्रवेश लिया जा सकता है। देश में करीब चार दर्जन से ज्यादा विश्वविद्यालयों में यह कोर्स संचालित हो रहा है। दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जाता है। फॉरेस्ट्री में बीएससी डिग्री प्राप्त करने के बाद फॉरेस्ट्री के एमएससी में दाखिला लिया जा सकता है। फॉरेस्ट्री और उससे संबंधित विषयों में कई स्पेशलाइज्ड कोर्स जैसे फॉरेस्ट मैनेजमेंट, कमर्शियल फॉरेस्ट्री, फॉरेस्ट इकोनॉमिक्स, वुड साइंस एंड टेक्नोलॉजी आदि उपलब्ध हैं। पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री और पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा स्तर पर ये कोर्स देश के कई संस्थानों में उपलब्ध हैं।
कोर्स अवधि
बीएससी इन फॉरेस्ट्री तीन साल
एमएससी इन फॉरेस्ट्री दो साल
बीएससी वाइल्ड लाइफ साइंस तीन साल
एमएससी इन वाइल्डलाइफ दो साल
एमएससी इन वुड साइंस एंड टेक्नोलॉजी दो साल
पीजी डिप्लोमा इन फॉरेस्ट मैनेजमेंट- एक, दो साल
पीएचडी इन फॉरेस्ट्री तीन साल
प्रमुख संस्थान
कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री, सोलन हिमाचल प्रदेश)
कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग, पंजाब
फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी, देहरादून (उत्तराखंड)
वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, देहरादून (उत्तराखंड)
कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, उत्तराखंड
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट मैनेजमेंट, भोपाल (मध्य प्रदेश)
बिरसा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, रांची (झारखंड)
ओडिसा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, भुवनेश्वर ( ओडिशा)
कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रीजनल रिसर्च सेंटर, धारवाड़, कर्नाटक
कॉलेज ऑफ फॉरेस्ट्री, त्रिशूर (केरल)
कैरियर के अवसर Career In Forestry
इंडियन फॉरेस्ट सर्विस Indian Forest Service (IFS)
फॉरेस्ट्री में बैचलर डिग्री के बाद आप केंद्रीय लोक सेवा आयोग-यूपीएससी की ओर से आयोजित परीक्षा के माध्यम से केंद्र सरकार की भारतीय वन सेवा Indian Forest Service (IFS) के लिए आवेदन कर सकते हैं। वर्ष 2021 के लिए इसकी 120 पोस्ट निकली है। इंडियन फॉरेस्ट सर्विस और सिविल सर्विस के लिए प्री एक्जाम कम्बाइंड होता है। प्री के बाद मेन्स और इंटरव्यू से गुजरना पड़ता है। इंडियन फॉरेस्ट सर्विस यानी आईएफएस एग्जाम पास करने के बाद बतौर फॉरेस्ट ऑफिसर आपका काम जंगल की देखभाल, नए पौधे लगवाना और पेड़-पौधों की नई प्रजातियों की रक्षा करना है।
सरकारी क्षेत्र में अन्य अवसर
• सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में जूलॉजिकल पार्क, वाइल्ड लाइफ रेंज, वाइल्ड लाइफ रिसर्च इंस्टीट्यूट, इंडियन काउंसिल ऑफ फॉरेस्ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन और इसके संबद्ध संस्थान, वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट, नेशनल पार्क और अभयारण्य में काम शामिल हैं।
• बतौर फॉरेस्टर सार्वजनिक वनों, अभयारण्यों और बोटेनिकल गार्डन आदि वनभूमि के संरक्षण का कार्य करना होता है। आपका काम जंगल और जंगली जीवों की सुरक्षा करना, लैंड स्केप मैनेजमेंट, जंगल व प्रकृति से संबंधित अध्ययन और रिपोर्ट को तैयार करना होता है। जंगल की कटाई व वन्य जीवों के शिकार पर रोकथाम और फॉरेस्ट में नियम-कानून लागू करना फॉरेस्टर का काम है। इनका काम दुर्लभ पौधों की पैदावार को बढ़ाना भी है।
• आप लेक्चरर के तौर पर कॉलेजों में पढ़ा भी सकते हैं।
• नेचुरल डिजास्टर मैनेजमेंट, फॉरेस्ट सर्वे, स्वाइल वाटर कंजरवेशन, इको टूरिज्म जैसे क्षेत्रों में भी एक्सपट्र्स की बहुत मांग है।
रिसर्चर बनें
• रिसर्च के जरिए जंगल, उसमें आने वाले बदलाव, वन्य जीवों में आने वाले चेंज और नए-नए पौधों की प्रजातियों का पता लगाना होता है। देश में इंडियन काउंसिल ऑफ फॉरेस्ट्री रिसर्च एंंड एजुकेशन, इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल फॉरेस्ट्री एंड इको रिहैबिलिटेशन, वाइल्ड लाइफ रिसर्च इंस्टीट्यूट जैसे कई प्रीमियर संस्थान हैं, जहां आपको बतौर रिसर्चर काम मिल सकता है।
• डेंड्रोलॉजिस्ट के तौर पर आप पेड़-पौधों के वैज्ञानिक अध्ययनों के स्पेशलिस्ट के तौर पर जाने जाते हैं। यह काम शोध गतिविधियों पर केंद्रित होता है। वे पेड़ों की विभिन्न प्रजातियों का वर्गीकरण, उनके इतिहास व जीवन चक्र का अध्ययन, क्लासिफिकेशन, मेजरिंग और रिसर्च करते हैं। इसके अलावा वह वनीकरण के नए तरीकों की तलाश और वनों के विस्तार के लिए शोध भी करते हैं।
• इथनोलॉजिस्ट वनों व जैव संपदा में होने वाले परिवर्तन और उनकी कार्यप्रणाली का अध्ययन करते है। ये चिडिय़ाघर, एक्वेरियम और लेबोरेटरी में जानवरों की हेल्दी हैबिट्स डिजाइन करने का काम भी करते हैं।
प्लांटेशन से करें कमाई
आप सिल्वि कल्चरिस्ट बनकर प्लांटेशन लगा सकते हैं। सिल्वि कल्चर के तहत व्यावसायिक उपयोग के लिए पौधों को इस तरह रोपा जाता है कि उनसे एक निश्चित समय अंतराल के बाद वृक्ष रूपी फसल ली जा सके। यह कार्य जिन विशेषज्ञों की देख-रेख में होता है, उन्हें सिल्विकल्चरिस्ट कहते हैं। इसमें वनों से जुड़े औद्योगिक उत्पादन के क्षेत्र में भी काम के ढेर सारे अवसर उपलब्ध हैं।
एनजीओ
देश में वन क्षेत्र और वन्य जीवन के संरक्षण के लिए कई गैर-सरकारी संगठन कार्यरत हैं। बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी, कल्पवृक्ष, वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया, वल्र्ड वाइड फंड फॉर नेचर और टेरी जैसे कई संगठन बड़े पैमाने पर देशभर में वन और पर्यावरण संरक्षण संबंधी कार्यक्रम चलाते हैं। इन कार्यों के लिए इन्हें विशेषज्ञों की जरूरत होती है। फॉरेस्ट्री विशेषज्ञ के तौर पर इनके लिए सलाहकार का कार्य किया जा सकता है।
विदेश में अवसर
फॉरेस्ट्री में डिग्री लेने वालों के लिए विदेशों में भी कार्य करने का भरपूर मौका है। आज के इस दौर में बढ़ते प्रदूषण के कारण लोग पर्यावरण को लेकर बहुत संवेदनशील तथा जागरूक हो चुके हैं। वे न केवल इस दिशा में संगठित प्रयासों के हिमायती हैं बल्कि स्वयं भी इस क्षेत्र में पहल करने को आतुर रहते हैं। लोगों के इस ग्लोबल इंवायरनमेंट कंसर्न के चलते आज विदेशों और खासतौर यूएन में क्वालीफाइड युवाओं की मांग है।
वेतन
फॉरेस्ट्री में बैचलर डिग्री हासिल करने के बाद सरकारी या निजी क्षेत्र के संगठनों में काम किया जा सकता है। शुरुआत में वेतन 25 से 30 हजार रुपए होता है। जो मास्टर्स डिग्री हासिल करने या कुछ वर्षों के अनुभव के बाद 50 से 60 हजार रुपये मासिक हो जाता है। सरकार क्षेत्र के संस्थानों में वेतन का निर्धारण सरकार द्वारा तय वेतनमान के अनुसार होता है।