
ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग-गेट के आधार पर मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग, मास्टर ऑफ टेक्नॉलजी और डॉक्टर ऑफ फिलॉस्फी आदि में दाखिला मिलता है। इसके आधार पर जर्मनी, सिंगापुर की कुछ युनिवर्सिटियों में भी प्रवेश मिलता है। ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग-गेट कंप्यूटर आधारित टेस्ट है जिसका आयोजन राष्ट्रीय स्तर पर नेशनल कोऑर्डिनेशन बोर्ड की ओर से आईआईएससी-इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस या आईआईटी रूड़की, दिल्ली, गुवाहाटी, कानपुर, खडग़पुर, मद्रास, बॉम्बे में से कोई एक करता है। आइए इसमें दाखिले के लिए योग्यता, ऐप्लिकेशन प्रोसेस आदि के बारे में जानते हैं।
ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग-गेट योग्यता की शर्तें
किसी भी उम्र का इंसान ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग-गेट का एग्जाम दे सकता है। इसमें कोई आयु सीमा नहीं होती है। भारतीय के आलावा बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, इथोपिया और संयुक्त अरब अमीरात के छात्र भी गेट दे सकते हैं। अलग-अलग कोर्स के हिसाब से शैक्षिक योग्यता नीचे दी गई है।
बैचलर ऑफ आर्किटेचर प्रोग्राम
छात्र ने किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड या यूनिवर्सिटी से आर्किटेचर में पांच साल की बैचलर डिग्री पास कर रखी हो। जिस साल टेस्ट देना हो अगर उस साल फाइनल ईयर की परीक्षा में बैठने वाले हों तो भी गेट के लिए आवेदन कर सकते हैं।
बी.टेक, बीई प्रोग्राम
कैंडिडेट ने 12वीं के बाद इंजिनियरिंग या टेक्नॉलजी में बैचलर डिग्री ले रखी हो या वह बीएससी इंजीनियरिंग में डिप्लोमा के बाद तीन साल की बैचलर डिग्री कोर्स कर रखा हो।
एमएससी, एमसीए, एमए प्रोग्राम
कैंडिडेट के पास किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड या यूनिवर्सिटी की मैथमेटिक्स, साइंस, कंप्यूटर ऐप्लिकेशन, स्टैटिस्टिक्स की किसी भी ब्रांच में मास्टर की डिग्री या समकक्ष हो। फाइनल ईयर की परीक्षा देने वाले कैंडिडेट भी आवेदन कर सकते हैं।
इंटेग्रेटिड एमटेक एमई के लिए
कैंडिडेट के पास किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड या यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग या टेक्नॉलजी में 4 साल के पोस्ट बीएससी इंटेग्रेटिड मास्टर डिग्री प्रोग्राम की डिग्री हो। अगर फाइनल ईयर की परीक्षा देने वाले भी हों तो आवेदन कर सकते हैं।
बीएस बीएससी रिसर्च प्रोग्राम
कैंडिडेट के पास डिप्लोमा के बाद साइंस में बैचलर की डिग्री हो या 12वीं के बाद साइंस से ग्रैजुएशन किया हो।
इंटेग्रेटिड बीएस एमएस या इंटेग्रेटिड एमएससी प्रोग्राम।
एमएससी या 5 साल का इंटेग्रेटिड बीएस, एमएस प्रोग्राम पास हों या फिर फाइनल ईयर की परीक्षा देने वाले हों।
अंतरराष्ट्रीय आवेदकों के लिए
बांग्लादेश, नेपाल, इथोपिया, श्रीलंका, सिंगापुर और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों के छात्रों के लिए इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री या उपयुक्त साइंस सब्जेक्ट में मास्टर डिग्री होना जरूरी है। फाइनल ईयर का एग्जाम देने वाले कैंडिडेट्स भी आवेदन कर सकते हैं।
ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग-गेट ऐप्लिकेशन फॉर्म
फॉर्म जारी होने के बाद कैंडिडेट्स ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के लिए सबसे पहले उनको ऑनलाइन पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा। रजिस्ट्रेशन कराने के बाद फॉर्म भरना होगा। आवेदन की पूरी प्रक्रिया में ऑनलाइन पंजीकरण, आवेदन फॉर्म भरना, दस्तावेजों को अपलोड करना और आवेदन शुल्क का भुगतान करना है। आवेदन को पूरी तरह भरने के बाद कैंडिडेट्स को फोटोग्राफ, सिग्नेचर और जरूरी सर्टिफेकट की स्कैन की हुई फोटो अपलोड करना होगा। आईआईटी दिल्ली या क्षेत्र गेट कार्यालयों को ऐप्लिकेशन फॉर्म की हार्ड कॉपी जमा करना नहीं होता है। कैंडिडेट्स को फॉर्म भरने से पहले योग्यता की शर्तें और अन्य डीटेल्स ऑनलाइन चेक कर लेना चाहिए। साथ ही आवेदन से पहले जरूरी दस्तावेज जैसे डिग्री सर्टिफिकेट, जाति प्रमाणपत्र, दिव्यांगता प्रमाणपत्र को स्कैन कर तैयार रखना चाहिए ताकि तुरंत अपलोड कर सकें।
ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग-गेट एग्जाम ऐप्लिकेशन करेक्शन
गेट एग्जाम में फॉर्म जमा करने के बाद कैंडिडेट्स को उसमें करेक्शन का भी मौका मिलता है। अथॉरिटीज की ओर से कैंडिडेट्स को ईमेल या एसएमएस के माध्यम से ऐप्लिकेशन फॉर्म में त्रुटियों के बारे में बताया जाता है। उसके बाद कैंडिडेट्स को ऐप्लिकेशन करेक्शन की आखिरी तारीख से पहले ऐप्लिकेशन फॉर्म में करेक्शन करना होता है। आखिरी तारीख के बाद करेक्शन नहीं कर सकेंगे और ऐप्लिकेशन फॉर्म रद्द हो जाएगा।
ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग-गेट एग्जाम ऐप्लिकेशन फीस
सामान्य श्रेणी और ओबीसी कैंडिडेट्स को 1500 रुपये आवेदन शुल्क देना होता है। आरक्षित वर्ग और महिला कैंडिडेट्स को 750 रुपये शुल्क देना होता है। परीक्षा शुल्क का भुगतान ऑनलाइन माध्यम डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड या नेटबैंकिंग से ही किया जा सकता है।
ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग-गेट काउंसलिंग
गेट एग्जाम का रिजल्ट आने के बाद उत्तीर्ण कैंडिडेट्स को हर आईआईटी में अलग-अलग आवेदन करना होता है। बोर्ड की ओर से किसी सेंट्रलाइज्ड काउंसलिंग नहीं की जाती है। लेकिन एमटेक, मप्लान और एम आर्क प्रोग्राम में सभी एनआईटी और विभिन्न केंद्र से सहायता प्राप्त संस्थानों में दाखिले के लिए सेंट्रलाइज्ड काउंसलिंग होती है।
ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग-गेट क्रैक करने के लिए टिप्स
पेपर पैटर्न समझें
परीक्षा में कौनसे टॉपिक अहम रूप से आएंगे, पेपर कितने अंकों का होगा, कितने सवाल इसमें होंगे और परीक्षा की समय सीमा क्या होगी आदि के बारे में जानकारी जुटा लें। पेपर पैटर्न जानकारी रखना बेहद जरूरी है। सिलेबस के ऐसे टॉपिक्स जिन पर आपको ज्यादा ध्यान देने के साथ ज्यादा मेहनत की जरूरत है, उन्हें रोजाना प्राथमिकता से पढ़ें। पुराने प्रश्न-पत्रों के अलावा टीचर्स से बात कर ऐसे टॉपिक्स की सूची तैयार करें जिनमें अधिक अंक आने की संभावना हो।
पिछले साल के पेपर से लें मदद
किसी पेपर को समझने के लिए पिछले साल का पेपर काफी मदद करता है। पिछले साल के पेपर से आपको पैटर्न समझ आ सकता है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कौन सा टॉपिक अहम है। इससे अंत समय में रिविजन में आसानी होती है।
आर्टिकल्स पढ़ें
पूर्व की गेट परीक्षा में चयनित स्टूडेंट्स के आर्टिकल्स, उनके तैयारी करने का तरीका आदि को जानें। वे इंटरनेट पर अपने अनुभवों को साझा करते हैं। ऐसे में उनके द्वारा बताए गए अहम टॉपिक, जरूरी पुस्तकें और तैयारी के टिप्स को समझें।
मॉक टेस्ट दें
एग्जाम पैटर्न से अवगत होने के लिए आपको ज्यादा से ज्यादा मॉक टेस्ट देना चाहिए। परीक्षा से जुड़े मॉक टैस्ट या प्रेक्टिस पेपर को नियमित रूप से सॉल्व करते रहें। खास बात यह है कि ये पेपर्स ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यस से उपलब्ध होते हैं। कैंडिडेट्स गेट की ऑफिशल वेबसाइट पर मॉक टेस्ट दे सकते हैं। इसके अलावा पुराने वर्षों के प्रश्न पत्र में दिए गए प्रश्नों की प्रकृति को समझते हुए अहम बिंदुओं के नोट्स की तैयारी करें और हफ्ते में एक दिन प्रश्नों को सॉल्व करें।
कम समय में ज्यादा सवाल हल करें
रिवीजन का समय परीक्षा से पहले पूरा एक माह का रखें। इसमें ज्यादा से ज्यादा सवालों को हल करने की कोशिश करें। क्योंकि इस एग्जाम में नेगेटिव मार्किंग नहीं होती है। लेकिन ध्यान रहे कि कम से कम समय में आप ज्यादा से ज्यादा सवालों को कॉन्फिडेंस के साथ हल करें। किसी एक सवाल को ज्यादा समय देने से भी एग्जाम में सवाल हल करने की लय बिगड़ सकती है।