
मौजूदा दौर में मेडिकल टेक्नोलोजिस्ट के रूप में कार्य करके एक युवा न सिर्फ चिकित्सकों, पैथोलोजिस्ट और लेब टेक्नीशियन का काम आसान कर सकते हैं बल्कि अच्छी आय व प्रतिष्ठा के साथ खुद का शानदार व्यवसाय भी कर सकते हैं। कई राज्यों में डिग्री के साथ-साथ व्यावहारिक प्रशिक्षण के बाद इस पद पर नियुक्ति का प्रावधान है।
इनके साथ-साथ एक मेडिकल टेक्नोलोजिस्ट को इस बात के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाता है कि वह अलग-अलग मेडिकल विशेषज्ञों के साथ रह कर रेडियोलोजी, ऑप्टीमेटेरिस्ट, ऑप्टिशियन, डेंटल लेब-टेक्नीशियन, डेंटल हाइजिनिस्ट, रेडियो-आइसोटोप टेक्नीशियन एवं रेडियोथैरेपी से संबंधित क्षेत्रों में भी सेवाएं दे सकें। मेडिकल टेक्नोलोजिस्ट की प्रत्येक चिकित्सालय में आवश्यकता होती है, जहां विभिन्न तरह की मशीनें एवं जांचें होती है। विभिन्न प्राइवेट हॉस्पिटल क्लिनिक, नर्सिंग होम, प्रयोगशालाएं और अन्य चिकित्सा संस्थानों में इस पद की मांग रहती है।
रेडियोग्राफर
रेडियोएक्टिव किरणों व रेडियोएक्टिव आइसोटॉप्स के माध्यम से विभिन्न प्रकार की शारीरिक बीमारियों की जांच की जाती है। इस प्रणाली का प्रमुख बिन्दु एक्स-रे निकालना होता है। एक्स-रे से शरीर का अन्दरूनी चित्र उभरकर सामने आ जाता है, जिसके माध्यम से डॉक्टर बीमारी की जांच करते हैं। देश के लगभग सभी सरकारी मेडिकल इंस्टीट्यूट में रेडियोग्राफी के कोर्स की व्यवस्था की गई है।
कार्डिक केयर टेक्निशन
कार्डिक केयर टेक्निशन बीमारी का पता लगाने के लिए मरीजों का टेस्ट्स करते हैं और इलाज खोजने में डॉक्टरों की मदद करते हैं। ये एक तरह से विशेषज्ञों के आंख और हाथ होते हैं। इनको सभी परिस्थितियों से निपटने और मशीनों की जानकारी रखना जरूरी होता है। यह कोर्स करने के लिए कैंडिडेट का किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 12वीं में साइंस से पास होना जरूरी है। इसके अलावा कई कॉलेज इस फील्ड में सर्टिफिकेट कोर्सेज भी उपलब्ध करते हैं। जिसे मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10वीं पास कैंडिडेट भी करके करियर बना सकता है। अगर कैंडिडेट इस फील्ड में निपुणता हासिल करना चाहता है तो वह 12वीं के बाद बैचलर ऑफ साइंस इन कार्डियक केयर टेक्नॉलजी कर सकता है।